नई दिल्ली। विश्व बैंक ने बुधवार को वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर को 6 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया है। इसके एक दिन पहल ही देश के स्टटिस्टिक्स ऑफिस ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर 5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था। यह दर 11 साल में सबसे कम है। विश्व बैंक के मुताबिक, देश की वृद्धि दर अगले वित्त वर्ष थोड़ी बेहतर होकर 5.8 फीसदी रह सकती है।
2008-09 की मंदी के बाद सबसे कम विकास दर
बैंक की तरफ से जारी की गई ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स रिपोर्ट के मुताबिक, अर्थव्यवस्था में गिरावट के पीछे सबसे बड़ी वजह है नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों की तरफ से क्रेडिट में कमी। रिपोर्ट में इस बात पर भी जोर दिया गया कि यह गिरावट वित्त वर्ष 2008-09 में वैश्विक मंदी के समय की 3.2 फीसदी विकास दर के अनुमान के बाद सबसे कम है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था में इजाफे का अनुमान
चालू वित्त वर्ष में वैश्विक आर्थिक ग्रोथ के 2.5 फीसदी तक बढ़ने की उम्मीद है। इन्वेस्टमेंट और ट्रेड में पिछले साल जो गिरावट देखी गई थी, उससे रिकवरी होने के चलते यह वृद्धि दर्ज क गई है। हालांकि अभी गिरावट का खतरा टला नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के सुस्त पड़ने के चलते इस वित्त वर्ष में मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में विकास दर 1.4 फीसदी तक गिरने की संभावना है।
ऐसा रहेगा दक्षिण एशिया का हाल
रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश की विकास दर 30 जून को खत्म होने वाले वित्त वर्ष में 7.2 फीसदी तक रहेगी। पाकिस्तान और श्रीलंका की विकास दर चालू वित्त वर्ष में क्रमश: 3 और 3.3 फीसदी तक बढ़ने की संभावना है। 2020 कैलेंडर ईयर में पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र में विकास दर 5.5 फीसदी रहने की उम्मीद है। इसके पीछे भारत और श्रीलंका में घरेलू मांग में आई हल्की वृद्धि और नीतियों में बदलाव का अनुमान प्रमुख कारण रहेगा।