नशे और गति पर नियंत्रण कर नववर्ष में जीवन बचाएं- डाॅ. अग्रवाल

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रोड़ ट्रेफिक सेफ्टी पर संगोष्ठी।फोटो सुधींद्र गौड़

कोटा। न्यूरो साईकेट्री सेन्टर पर ‘‘रोड़ ट्रेफिक सेफ्टी‘‘ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ डाॅ. एम.एल.अग्रवाल ने रोड़ साईड एक्सीडेन्ट्स व मानसिक स्वास्थ्य में गहरा संबध बताते हुये कहां कि अधिकतर रोड़ साईड एक्सीडेन्ट युवाओं द्वारा तेज रफ्तार एवं एल्कोहाॅल सेवन के कारण होते हैं। एल्कोहलिज्म एक मानसिक रोग है। इसी कारण से 400 मौते प्रतिदिन होती हैं।

प्रत्येक 4 मिनट में एक मौत सड़क दुर्घटना से होती है। इसके अलावा अधिकांश लोग दुर्घटना ग्रस्त होकर विकंलाग हो जाते हैं या हेड इन्जरी के कारण अपना मानसिक संतुलन खो बैठते हैं। वे लम्बे समय तक मानसिक संताप से उभर नही पाते। जिसकी वजह से परिजनो पर आर्थिक व सामाजिक बोझ बढ़ जाता है। उन्होंने बताया कि नववर्ष मनाने के उत्साह में गति से पूर्व सुरक्षा का ध्यान रखें। किसी भी प्रकार का नशें का सेवन करके वाहन न चलाएं। ताकि नववर्ष की खुशियों में ग्रहण लगने से बचा जा सके।

पुलिस उपधीक्षक नारायण लाल विश्नोई ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति ट्रेफिक नियमों का पालन करें तो दुर्घटना की संख्या कम होने के साथ-साथ मौते भी कम होंगी। क्योंकि 90 प्रतिशत दुर्घटनायें मानवजनित कारणो से होती हैं। केवल 10 प्रतिशत घटनाये अन्य कारणो से होती हैं। शहर की ज्वलंत समस्या का जिक्र करते हुये कहा कि पाॅवर बाईक्स दुर्घटना का मुख्य कारण होती है। क्योकि तेज गति होने के कारण ब्रेक लगने के बाद भी यह वाहन घिसटती चली जाती है। हम सावधानी के उपाय करके दुर्घटना में होने वाली मौतो में कमी लाये। विशिष्ट अतिथि डाॅ. रमेश डाकरियां ने कहा कि नए साल की सुबह आर्थोपेडिक वार्ड में नशे कि वजह से अधिकांश भर्तियां होती हैं।