नई दिल्ली। सरकार कामकाजी लोगों को प्रॉविडेंट फंड में योगदान घटाने का विकल्प दे सकती है ताकि उनकी टेकहोम सैलरी बढ़े। अधिकारियों का कहना है कि इससे कंजम्पशन डिमांड बढ़ाने में मदद मिल सकती है, जिसमें सुस्ती के कारण इकनॉमिक ग्रोथ कम हो गई है।
लेबर मिनिस्ट्री के इस प्रस्ताव के मुताबिक, प्रॉविडेंट फंड में कंपनी का योगदान 12 प्रतिशत के मौजूदा स्तर पर बना रहेगा। ये बातें सोशल सिक्यॉरिटी बिल 2019 में शामिल हैं, जिसे पिछले हफ्ते कैबिनेट ने मंजूरी दी थी। मंत्रालय ने एंप्लॉयीज प्रॉविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (EPFO) और एंप्लॉयीज स्टेट इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन (ESIC) की मौजूदा स्वायत्तता को बरकरार रखने का भी फैसला किया है, जबकि पहले उसने इन्हें कॉर्पोरेट जैसी शक्ल देने का प्रस्ताव दिया था।
50 करोड़ लोगों को सामाजिक सुरक्षा
इस बिल के जरिए देश में 50 करोड़ लोगों को सामाजिक सुरक्षा देने की दिशा में सरकार ने एक और कदम बढ़ाया है। इस विधेयक में कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) के तहत एक सामाजिक सुरक्षा कोष यानी सोशल सिक्यॉरिटी फंड बनाने की बात भी कही गई है। इसमें कहा गया है कि गिग वर्कर्स सहित सभी वर्कर्स को पेंशन, मेडिकल, बीमारी, मातृत्व, मृत्यु और अपंगता से जुड़े वेलफेयर बेनेफिट्स दिए जाएंगे।
नैशनल पेंशन सिस्टम में शिफ्ट करने का प्रस्ताव भी वापस
लेबर मिनिस्ट्री ने EPFO सब्सक्राइबर्स को नैशनल पेंशन सिस्टम में शिफ्ट करने का विकल्प देने का पिछला प्रस्ताव भी वापस ले लिया है। उसने इस मामले में वित्त मंत्रालय की सलाह मानने से इनकार कर दिया। लेबर मिनिस्ट्री ने अपने फैसले के हक में EPFO से मिलने वाले ऊंचे रिटर्न और अन्य फायदों का जिक्र किया है। उसने यह भी कहा कि EPFO में हर स्तर पर निवेशकों को टैक्स छूट मिलती है। माना जा रहा है कि सोशल सिक्योरिटी बिल को इसी हफ्ते संसद में पेश किया जाएगा।
ग्रैच्युटी के लिए 5 साल की शर्त नहीं
बिल के मुताबिक, जिन इकाइयों में कम से कम 10 मजदूर काम करते हैं, उन्हें ESIC के तहत वर्कर्स को कई फायदे देने होंगे और यह खतरनाक काम करने वाले वर्कर्स के लिए अनिवार्य होगा। जिन कंपनियों में 10 से कम मजदूर काम करते हैं, वे ESIC स्कीम के तहत स्वैच्छिक रूप से ये फायदे अपने वर्कर्स को दे सकती हैं। इसके साथ, फिक्स्ड टर्म कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स प्रो-राटा बेसिस पर ग्रैच्युटी पाने के हकदार होंगे। उन्हें इसके लिए अब एक कंपनी में कम से कम पांच साल तक काम नहीं करना पड़ेगा। सोशल सिक्यॉरिटी कोड में 8 केंद्रीय श्रम कानूनों को समाहित किया गया है।