नई दिल्ली। बिहार के उप मुख्यमंत्री और वित्तमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बताया कि अभी तक 98 ऐसे करदाता पाए गए हैं, जिनका कोई अस्तित्व नहीं है। ऐसे लोगों ने कागज पर ही 1921 करोड़ रुपए से अधिक का माल मंगा कर 419 करोड़ रुपए की करवंचना की है। सात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई हैं, जिनमें फर्जी कारोबारियों के साथ सीए भी शामिल हैं। इसके साथ ही छह माह तक लगातार विवरणी दाखिल नहीं करने वाले 7368 कारोबारियों के निबंधन को रद्द किया गया है।
बिहार में बढ़ा जीएसटी कलेक्शन
मोदी ने बताया कि बिहार में वित्त वर्ष 2018-19 की तुलना में चालू वित्त वर्ष के आठ महीने में जीएसटी संग्रह में 6.73 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। इस वित्तीय वर्ष में अप्रैल से अक्टूबर 91,748 करोड़ रुपए रिपीट 91,748 करोड़ रुपए की उपभोक्ता सामग्री बिहार में बिकने के लिए मंगाई गई जो पिछले साल की इसी अवधि से तीन फीसदी अधिक है। इनमें सर्वाधिक 8,242 करोड़ रुपए का लौह एवं इस्पात, 3475 करोड़ रुपए के मोबाइल फोन, 3409 करोड़ के दुपहिया एवं तिपहिया वाहन तथा 3325 करोड़ रुपए के सीमेंट शामिल हैं।
निबंधन होगा अनिवार्य
उन्होंने बताया कि 20 लाख रुपए की जगह अब सालाना 40 लाख रुपए तक टर्नओवर वाले कारोबारियों के लिए निबंधन की अनिवार्यता नहीं होगी जबकि 20 लाख रुपए तक टर्नओवर वाले सेवा प्रदाताओं को निबंधन कराना होगा। कम्पोजिशन स्कीम में शामिल कारोबारियों के लिए टर्नओवर की सीमा एक करोड़ रुपए से बढ़ाकर डेढ़ करोड़ रुपए कर दी गई है, जिन्हें मामूली हिसाब-किताब रख कर नाममात्र का निश्चित कर देना होता है।
बिना किसी कारोबार के जीएसटी का फर्जी निबंधन कराने वालों को चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार एक अभियान चला कर वैसे लोगों के परिसर का निरीक्षण करेगी, जिन्होंने नया निबंधन तो करा लिया है लेकिन वास्तव में कोई कारोबार नहीं करते हैं।