कोटा। महावीर नगर विस्तार योजना स्थित श्री दिगम्बर जैन मंदिर पर पावन चातुर्मास कर हीं आर्यिका सौम्यनन्दिनी माताजी ने बुधवार को प्रवचन करते हुए कहा कि आधुनिक विज्ञान भी आज धर्म व शास्त्र की शक्ति को न सिर्फ स्वीकारता है, बल्कि उसके तर्कों और प्रभाव के आगे घुटने टेकने लगा है। इसके जीते-जागते कई उदाहरण हैं।
दरअसल, धर्म और शास्त्र हमें सिखाता है कि जीवन को किस तरह से जिएं। आज विज्ञान भी इस बात को महत्व देता है कि जैन धर्म के नियमों को प्रत्येक मनुष्य यदि अपने जीवन में अंगीकार कर लें, तो पूरे ब्रह्मांड में मानव जाति के बीच से छुआछूत की कुप्रथा समाप्त होकर सिर्फ एकमात्र मनुष्य जाति ही रह जाएगी।
इससे आपसी प्रेम भी बढ़ जाएगा और कोई भी किसी भी वजह से किसी अन्य को परेशान नहीं करेगा। दुनिया में सभी के बीच प्रेम और भाईचारा बना रहेगा। इस तरह पूरे ब्रह्मांड में खुशहाली आएगी।