नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख आधिकारिक तौर पर दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गए। इसी साल 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल लाकर जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था। यह बिल 30 अक्टूबर रात 12 बजे से लागू हो गया। इसके तहत जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी, जबकि लद्दाख में बिना विधानसभा या विधान परिषद के केंद्र शासित प्रदेश बना।
राज्य का पुनर्गठन होते ही जम्मू-कश्मीर में 20 और लद्दाख में 2 जिले होंगे । इसके साथ ही केंद्र के 106 कानून भी इन दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में लागू हो गए, जबकि राज्य के पुराने 153 कानून खत्म हो गए।
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का बंटवारा कैसे होगा?
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन एक्ट की धारा 84 और 85 के अनुसार दोनों राज्यों के बीच परिसंपत्तियों के बंटवारे के लिए केंद्र सरकार ने 3 सदस्यों की एक समिति बनाई है। इस समिति के अध्यक्ष पूर्व रक्षा सचिव संजय मित्रा हैं, जबकि रिटायर्ड आईएएस अरुण गोयल और रिटायर्ड आईसीएएस गिरिजा प्रसाद गुप्ता इसके सदस्य हैं। बिल के मुताबिक, यह समिति 6 महीने के अंदर रिपोर्ट सौंपेगी, जिसके आधार पर संपत्ति और देनदारी का बंटवारा होगा। इस प्रक्रिया में 1 साल का वक्त लगेगा।
सुप्रीम कोर्ट के वकील और संवैधानिक मामलों के जानकार विराग गुप्ता बताते हैं कि मार्च 2017 के आंकड़ों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के पुराने राज्य में लगभग 82,000 करोड़ रुपए की संपत्ति थी। इसमें लगभग 30,000 करोड़ की पब्लिक अकाउंट संपत्ति शामिल है, जिसमें प्रॉविडेंट फंड आदि की रकम और लगभग 35,755 करोड़ रुपए की उधारी शामिल थी। इसके पहले भी देश के कई राज्यों में विभाजन हुआ है जिसमें बंटवारे का मौलिक सिद्धांत यह होता है कि संपत्तियों के अनुसार ही लोन और कर्ज का भी बंटवारा हो।
विराग कहते हैं कि संपत्ति के अलावा राज्य सरकार के कर्मचारियों और इंफ्रास्ट्रक्चर का भी बंटवारा होगा। जम्मू-कश्मीर राज्य की 6 बड़ी संपत्तियां दिल्ली, अमृतसर, चंडीगढ़ और मुंबई में स्थित हैं, जिनका अब दोनों नई यूटी के बीच बंटवारा होगा। संपत्तियों के बंटवारे में लगभग 10,000 सरकारी गाड़ियां, पुलिस के शस्त्र और गोला बारूद जैसी चीजें भी शामिल हैं। इनके अलावा पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स विश्वविद्यालय शैक्षणिक संस्थान तथा अनेक अन्य संस्थाओं का भी दोनों ने राज्यों के बीच बटवारा होगा।
इन सबके अलावा अभी तक जम्मू-कश्मीर को 14वें वित्त आयोग के आधार पर फंड मिलता है। इस फंड को दोनों राज्यों की आबादी और अन्य मानकों के आधार पर बांटा जाएगा। इसके साथ ही लद्दाख के लिए केंद्र सरकार अलग से स्पेशल पैकेज या ग्रांट का ऐलान कर सकती है। इसी तरह से दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के बीच रेवेन्यू का बंटवारा भी आबादी और अन्य जरूरी मानकों के आधार पर किया जाएगा।
बिजली-पानी जैसी जरूरतों का बंटवारा भी समिति करेगी
आधिकारिक तौर से अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद अब 90 दिन में एक या उससे ज्यादा एडवाइजरी कमेटी बनाई जाएगी। इनका काम जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के बीच बिजली और पानी की सप्लाई जैसी आम जरूरतों का बराबर बंटवारा करना होगा। ये कमेटी 6 महीने के अंदर उपराज्यपाल को अपनी रिपोर्ट देगी, जिसके बाद 1 महीने के अंदर कमेटी की सिफारिशों के आधार पर विभाजन होगा।
विराग बताते हैं कि जम्मू कश्मीर में अनेक हाइड्रो और थर्मल पावर प्लांट का बटवारा होगा, जिसके बाद दोनों राज्यों में नई पॉवर कंपनियों का गठन होगा। जम्मू कश्मीर के पुराने राज्य बिजली कानून 2010 की समाप्ति हो गई है और उसकी जगह अब केंद्रीय बिजली कानून लागू होगा। पावर प्लांट्स से राज्य को लगभग 12% की रॉयल्टी मिलती है।
आईएएस, आईपीएस का नया कैडर बनेगा
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में काम कर रहे सभी प्रशासनिक अधिकारी और राज्य कैडर के आईएएस, आईपीएस और आईएफएस मौजूदा जगहों पर ही काम कर रहे थे और 31 अक्टूबर से भी वे अपने मौजूदा कैडर के तहत काम जारी रखेंगे। ये अधिकारी अपनी सेवाएं मौजूदा तरीके से तब तक जारी रख सकते हैं, जब तक दोनों केंद्र शासित प्रदेश के उपराज्यपाल नया आदेश जारी नहीं करते।
इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में विधानसभा गठन होने के बाद सरकार अपने प्रशासन का गठन करेगी। विराग कहते हैं कि बंटवारे के बाद राज्य सरकार के कर्मचारियों का भी बंटवारा होगा। वहां पर अब आईएएस और आईपीएस का नया यूटी कैडर बनेगा, जिससे केंद्रीय गृह मंत्रालय का नए राज्यों में ज्यादा नियंत्रण होगा।
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में और क्या-क्या बदलेगा?
1) उपराज्यपाल ही मुखिया होगा : संविधान के अनुच्छेद 239ए के तहत जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है। यही अनुच्छेद दिल्ली और पुडुचेरी पर लागू है। इसके तहत जम्मू-कश्मीर की अपनी विधानसभा होगी। हालांकि, प्रदेश की पुलिस उपराज्यपाल के अधीन होगी। उपराज्यपाल के जरिए कानून-व्यवस्था का मामला केंद्र सरकार के पास होगा। जबकि, जमीन से जुड़े मामले विधानसभा के पास ही होंगे। वहीं, लद्दाख अनुच्छेद 239 के तहत केंद्र शासित प्रदेश बना है। इसके तहत लद्दाख की न ही कोई विधानसभा होगी और न ही कोई विधान परिषद। यहां उपराज्यपाल ही मुखिया होगा। उपराज्यपाल की नियुक्ति केंद्र सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति करते हैं।
2) जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीट बढ़ेंगी : जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक के मुताबिक, चुनाव आयोग और सरकार मिलकर जम्मू-कश्मीर का नए सिरे से परिसीमन करवाएंगे, जिसके बाद यहां विधानसभा सीटें बढ़ेंगी। अभी जम्मू-कश्मीर में 83 और लद्दाख में 4 विधानसभा सीट थी। 24 सीटें पीओके में भी हैं, जिनपर चुनाव नहीं होते हैं। इस तरह से जम्मू-कश्मीर में कुल विधानसभा सीटों की संख्या अभी तक 107 थी, जो नए परिसीमन के बाद 114 तक पहुंच सकती हैं। वहीं, जम्मू-कश्मीर में 5 लोकसभा और लद्दाख में 1 लोकसभा सीट होगी।