कोटा । दिवाली पर घरों पर मिठाइयों का ढेर लग जाता है। छेना, बर्फी, रसगुल्ला और न जाने क्या क्या। बच्चे से लेकर बड़े तक इन्हें खूब चाव से खाते हैं और मेहमानों को भी खिलाते हैं। लेकिन दिवाली का त्योहार आते ही जैसे ही मिठाइयों की डिमांड बढ़ती है वैसे ही मिलावटखोरों का धंधा भी तेजी पकड़ने लगता है। आपको पता भी नहीं चलेगा कि आप जिस मिठाई को इतने शौक से खा रहे हैं वह मिलावटी है और आपकी सेहत को किस तरह से नुकसान पहुंचा सकती हैं।
डॉक्टरों की मानें तो खासकर चांदी का वर्क लगी मिठाइयों से तो बिलकुल परहेज करना चाहिए क्योंकि इसमें चांदी की जगह ऐल्युमिनियम की परत का इस्तेमाल किया जाता है, जो सेहत के लिए बेहद खतरनाक है। दिवाली के दौरान मिठाइयां बाजार में खूब बिकती हैं और इन्हें बनाने में कई जगहों पर सिंथेटिक दूध, खराब तेल, चांदी की जगह एल्युमिनियम के वर्क और नकली रंगों का इस्तेमाल किया जाता है।
हो सकती हैं पेट से जुड़ी कई बीमारियां
अगर कोई व्यक्ति सिंथेटिक दूध से बनी चीजों खा लेता है, तो उसे पेट से जुड़ी कई बीमारी हो सकती है। इसके अलावा इन दिनों मिठाइयों को बनाने के लिए जिस तेल व घी का इस्तेमाल किया जाता है वह भी अच्छी क्वॉलिटी का नहीं होता। खराब तेल से बने पदार्थ कलेस्ट्रॉल बढ़ाते है और पेट में इंफेक्शन भी करते हैं। लोगों को लगता कि जिन मिठाइयों पर सिल्वर का वर्क किया होता है, वह मिठाई देखने के साथ साथ खाने में अच्छी होगी। इसी वजह से दुकानदार मिठाइयों में सिल्वर की जगह एल्युमिनियम के वर्क का इस्तेमाल करते हैं। इन्हें खाने से दिमाग की ग्रोथ रुक जाती है।
घर पर बनी मिठाइयां खाने की डॉक्टरों ने दी सलाह
आयुर्वेद चिकित्सक सुधींद्र श्रृंगी ने बताया कि फेस्टिवल सीजन में कुछ मिठाइयों में नकली रंगों का भी इस्तेमाल किया जाता है जिससे कैंसर होने की आशंका बनी रहती है। फेस्टिवल की वजह से दुकानदार मुनाफा कमाने के चलते मिलावटी चीजों का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। लिहाजा डॉक्टरों की सलाह यही है कि आप घर पर अपने हाथों से बनी शुद्ध मिठाइयां ही खाएं और दोस्तों-रिश्तेदारों को भी खिलाएं।