पंच परमेष्ठी गुणों को प्राप्त करने से मिलता है मोक्ष: आर्यिका सौम्यनन्दिनी

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कोटा। श्री दिगम्बर जैन मंदिर महावीर नगर विस्तार योजना में पावन चातुर्मास कर रही आर्यिका सौम्यनन्दिनी माताजी ने प्रवचन करते हुए कहा कि जिसमें अनन्त शक्ति और अनन्त अर्थ विद्यमान रहते हैं तथा जिसके पाठ मात्र से कार्य की सिद्धि होती है, जो मन को शुुद्ध करे, जिसके द्वारा सोई हुई चेतना शक्ति जागृत हो, मन को वश में करने वाले ऐसे बीज अक्षरों को मंत्र कहते हैं।

उन्होंने कहा कि ज्ञान, दर्शन्, सुख, वीर्य गुण, वेदनीय कर्म के क्षय, आयुकर्म के क्षय से, नामकर्म के क्षय से एवं गोत्रकर्म के क्षय से मोक्ष की प्राप्ति की जा सकती है। इन गुणों को पंच परमेष्ठी कहते हैं।

जिनसहस्रनाम व्रत उद्यापन 20 को
आर्यिका सौम्यनन्दिनी माताजी के पावन सान्निध्य में जिनसहस्रनाम व्रत उद्यापन 20 अक्टूबर को प्रातः 7 बजे से संत नामदेव भवन में आयोजित किया जाएगा।