नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार ज्यादा दूध के उत्पादन के लिए गायों की देसी नस्लों पर फोकस कर रही है। भारत में देसी नस्ल की गायों की संख्या कम होते जा रही है। इसे बढ़ावा देने के लिए सरकार ने गायों के कृत्रिम गर्भाधान के लिए गिर बैल के वीर्य की एक लाख डोज आयात करने के लिए ब्राजील के साथ समझौता किया है। बढ़िया नस्ल की मानी जाने वाली गिर गायों की लगातार घटती संख्या को देखते हुए सरकार ने यह फैसला किया है।
पशुपालन राज्य मंत्री संजीव बाल्यान ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया, ”डेढ़ महीने के भीतर हमारे देश में वीर्य उपलब्ध होगा। इसे देसी गायों के प्रजनन को बढ़ावा देने के लिए देशभर में वितरित किया जाएगा।” उन्होंने कहा ‘ 2017 में, सरकार ने ब्राजील से जमे हुए वीर्य को आयात करने की कोशिश की, लेकिन पशु प्रजनकों की आपत्ति के कारण निर्णय को स्थगित कर दिया।
2012 के पशुधन की जनगणना के अनुसार, 15.16 करोड़ स्वदेशी मवेशी थे। 2019 के लिए पशुधन की जनगणना जल्द ही जारी की जाएगी। हालांकि सरकार को स्वदेशी मवेशियों की संख्या में भारी गिरावट की उम्मीद है। बाल्यान ने बताया, “हमारे पास अब तक देशभर में 2.28 करोड़ मवेशी हैं। हर दिन लगभग 27,000 गायों और भैंसों को टैग किया जा रहा है।
बता दें कि गिर भारत में उत्पन्न होने वाली प्रमुख जेबू नस्लों में से एक है। यह 18वीं शताब्दी में भावनगर के महाराजा द्वारा ब्राजील को उपहार में दिया गया था और ब्राजील ने गिर गायों की मूल नस्ल को संरक्षित किया है। वर्षों से, गिर एक उच्च दूध उत्पादक नस्ल बन गई है और दक्षिण अमेरिकी देशों में खराब मौसम से बचने की क्षमता के कारण काफी लोकप्रिय है।