कोटा। कलेक्टर मुक्तानंद अग्रवाल ने कहा कि वर्षा जल को संग्रहित करने एवं नदियों को सुरक्षित रखना आज के समय की बड़ी चुनौती है।देश में जल शक्ति अभियान और प्रदेश जल स्वावलम्बन पर काफी काम हो रहा है। जरूरत है भूमिगत जल के दोहन को नियंत्रित किया जाए। जल संग्रहण की पुरानी परम्पराओं को पुर्नस्थापित करने की आवश्यकता है, जिससे कि भविष्य में नई पीढ़ी को पानी मिल सके।
वे शनिवार को दी इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इण्डिया) कोटा लोकल सेंटर की ओर से ”जल संरक्षण-सुरक्षित भविष्य की आवश्यकता” पर आयोजित दो दिवसीय अखिल भारतीय सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। अध्यक्षता करते हुए राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति आरए गुप्ता ने कहा कि जल संकट से निपटने में समाज व शासन के बड़े लोगों को जिम्मेदारी लेनी होगी। तकनीकी विश्वविद्यालय इस दिशा में सार्थक काम करने का संकल्प रखता है।
मुख्य वक्ता महाराष्ट्र जल बिरादरी के अध्यक्ष व सागर मित्र पुणे के विनोद बोधनकर ने बताया कि पुणे की रामनदी के पुर्नजीवन में वो हर व्यक्ति जुड़ा है, जो उसे गंदा नाला बना रहा है। जिम्मेदार लोगों ने सोशल इंजीनियरिंग के द्वारा संत,शासन समाज व महाजनों को एकत्र किया।
केवल आस्था की व्यवस्था से नदी नहीं बचेगी। नदी मेला ढोने वाली माल गाड़ी नहीं हैं। नदियां बीमार है, तो समाज स्वस्थ कैसे रहेगा। प्रदूषण,शोषण और अतिक्रमण से नदियों को बचाने की आवश्यकता है। नासा के पूर्व वैज्ञानिक एवं भारतीय सहकारिता मिशन नई दिल्ली के महा निदेशक उपेंद्र सिंह रूद्रदेव ने बताया कि अत्यधिक दोहन से 42 प्रतिशत भूजल खत्म हो गया है। प्रदूषण के कारण 300 प्रकार की जल जनित बीमारियां हो गई है।
जल शक्ति अभियान से बड़ी उम्मीद- तंवर
इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियर्स इलेक्ट्रिक डिविजन बोर्ड के चेयरमेन आर आर तंवर ने कहा कि प्रधान मंत्री के जल शक्ति अभियान में 3.5 लाख करोड़ की योजना बनी है। तंवर ने कोटा चेप्टर के कार्यों को अनुकरणीय बताया।
मुकंदरा में जल स्त्रोतों के संरक्षण से बाघों की राह आसान
मुकुंदरा टाईगर रिजर्व के उप वन संरक्षक टी मोहन राज ने अपने प्रजेटेशन में टाईगर रिजर्व में चम्बल,कालीसिंध, आहू और ब्राह्मणी नदी एवं परम्परागत जल स्त्रातों में पानी की उपलधता का चित्रण प्रस्तुत किया। कोटा एनवायरमेंट सेनीटेशन सोसायटी की अध्यक्ष सुसेन राज ने स्वच्छता मिशन में एसएलआरएम तकनीकी को चम्बल नदी के लिए उपयोगी बताया। गंदे नालों को उपचारित करने की पद्वतियों का जिक्र किया।
समन्वयक चंद्रकांत सिंह परमार ने सरकार द्वारा किए गए जलग्रहण विकास कार्यों की जानकारी देते हुए भविष्य में जल संकट के हल के उपायों पर जोर दिया। इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स के चेयरमेन आनंद बर्दवा ने सेमीनार के बारे में विस्तार से जानकारी दी। सत्र का संचालन सचिव सुनील बोहरा ने किया। तकनीकी सत्र में भारत सरकार के भूजल ग्रहण एवं मृदा संरक्षण के केंद्र निर्देशक आर के सिंह ने मृदा संरक्षण व भूजल के जानकारी सांझा की।
आज आएंगे राजेंद्र सिंह
जल बिरादरी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मेग्सेस पुरस्कार प्राप्त राजेंद्र सिंह रविवार को मुख्य वक्ता के रूप में भाग लेंगे। विधायक भरत सिंह ,महापौर महेश विजय,भी विशेष अतिथि होंगे। इंस्टीट्यूट के चेयरमेन आनंद बर्दवा ने बताया कि नदी संरक्षण पर काम करने वाली दिल्ली की बाशापी दास गुप्ता इसरो वैज्ञानिक सुपर्ण पाठक,अनेक जल संरक्षण कार्यकर्त्ता समाजसेवी आदि भाग लेंगे।