कोटा। सोयाबीन की फसल को अभी मंडियों में पहुँचने में डेढ़ माह से भी अधिक समय लग सकता है जबकि मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र दोनों ही राज्यों की उत्पादक क्षेत्रों में कहीं अधिक बारिश के बाद आयी भीषण बाढ़ के साथ साथ बरसात का प्रकोप जारी है। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए फसल के लेट होने के अलावा उत्पादन में भी कमी आने की आशंका जोर पकड़ने लगी है।
चालू माह में सोया डीओसी की शिपमेंट होना है जिसके चलते निर्यातक माल पकड़ने में सक्रिय हो गए हैं, जिससे क़ीमतों में 500/600 रुपए टन की तेजी पहले ही आ गयी है एवं 800/ 1000 रुपए की और बढ़ोत्तरी की उम्मीद और लगने लगी है।
मध्य प्रदेश के इंदौर, शिवपुरी, दतिया, सुजालपुर लाइन में सोयाबीन की खड़ी फसल संतोषजनक नहीं है। इसके अलावा महाराष्ट्र के सांगली- कोल्हापुर लाइन में अधिक बारिश के बाद आयी भीषणतम बाढ़ से सोयाबीन की फ़सल को भारी नुकसान पहुँचने की आशंका बढ़ गयी है।
इसके साथ साथ कर्नाटक में बाढ़ अपना भयानक रूप दिख रही हैं इससे फ़सल को नुकसान के साथ उत्पादकता भी घटने की आशंका बढ़ गयी है। दूसरी ओर सोया डीओसी में निर्यातकों की लिवाली नीचे भाव पर निकलने से 500/600 रुपए डीओसी कोटा के प्लांटों में 30500/30600 रुपए प्रति टन हो गयी है।
मध्य प्रदेश में 29800/30000 रुपए भाव बोलने लगे हैं। रुपए के मुकाबले डॉलर महंगा होने से निर्यातकों को दोहरा लाभ मिल रहा है। एकतरफ सोया डीओसी मंदी मिल रही है। दूसरी ओर डॉलर में विदेशी मुद्रा अधिक मिल रही है, जिससे निर्यात को प्रोत्साहन मिला है, जिससे बाजार यहां से चालू माह में 1000 रुपए टन तेज लगने लगा है।
पिछले माह सोया डीओसी का निर्यात चालू माह से कमजोर रहा, जिससे सोया डीओसी चालू माह के अंतराल 1000 रुपए प्रति क्विंटल टूटकर कोटा लाइन में 30 हजार रुपए एवं दतिया-नीमच लाइन में 29400/29500 रुपए प्रति टन के निम्नस्तर पर रह गयी थी। अब नीचे वाले भाव पर घरेलू पोल्ट्री उद्योग सहित निर्यातकों की मांग भी निकलने लगी है।
चालू माह में अब तक प्राप्त जानकारी के मुताबिक बरसात से 25 फ़ीसदी बोई हुई फसल पानी में डूब जाने का ख़तरा नज़र आ रहा है जिससे सोयाबीन का रकबा भी घटने के आसार बन गए है। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए नई फ़सल के शुरुआती दबाव पर हल्की मंदी के बाद दूरगामी परिणाम लाभकारी रहने की उम्मीद दिखने लगी है ।