नई दिल्ली। भारतीय अर्थव्यवस्था की धीमी रफ्तार को गति देने के लिए केंद्र सरकार कई तरह के प्रयास कर रही है। इसके तहत अब सरकार देश में ठेकेदारी पर होने वाले निर्माण में 100 फीसदी विदेशी निवेश की मंजूरी देने की तैयारी में है। कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्ट्री इस प्रस्ताव पर काम रही है, जिसे जल्द अंतिम रुप देने के बाद कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
मौजूदा पॉलिसी में कॉन्टैक्ट मैन्युफैक्चरिंग का कोई जिक्र नहीं है और इस बारे में चीजें स्पष्ट नहीं है। देशभर की बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियां कॉन्टैक्ट मैन्युफैक्चरिंग की तरफ कदम बढ़ा रही हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विदेशी निवेश को आकर्षित करने के इरादे से जुलाई में अपने बजट भाषण में विमानन, एवीजीसी (एनिमेशन, विजुअल इफेक्ट, गेमिंग और कामिक्स), बीमा और एकल खुदरा ब्रांड जैसे क्षेत्रों में एफडीआई नियमों में ढील देने का प्रस्ताव किया था।
मैन्युफैक्चरिंग में अन्य रुट से निवेश की इजाजत
अभी भारत में विदेशी निवेश पॉलिसी के मुताबिक ऑटोमेटिक रुट के अंतर्गत मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 100 फीसदी विदेश निवेश की इजाजत है। मैन्युफैक्चरर्स को भारत में होलसेल और रिटेल चैनल के जरिए अपने बनाए गए प्रोडक्ट को बेचा जा सकता है। साथ ही सरकार की बिना मंजूरी के प्रोडक्ट को ई-कॉमर्स से बिक्री की जा सकती है।
घटा विदेशी निवेश
भारत में एफडीआई 2018-19 में एक प्रतिशत घटकर 44.36 अरब डालर रहा। पिछले साल सरकार ने एकल खुदरा ब्रांड, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां तथा निर्माण समेत विभिन्न क्षेत्रों के लिये एफडीआई नियमों में ढील दी थी। देश की आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये बंदरगाह, हवाईअड्डा और राजमार्ग जैसे बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिए अरबों डालर की जरूरत है। इस लिहाज से विदेशी निवेश काफी महत्वपूर्ण है।