नई दिल्ली। भारत में डेयरी उद्योग को बढ़ाने तथा देशी नस्लों के संरक्षण और विकास के लिए सरकार राष्ट्रीय कामधेनु प्रजनन केन्द्र बना रही है। इस योजना के तहत सरकार वर्ष 2022 तक प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता को 500 ग्राम करना चाहती हैं। जहां एक तरफ भारत में दुग्ध उत्पादन को बढ़ाया जाएगा, वहीं दूसरी तरफ लोगों को दुधारू जानवरों के बारे में जागरूक भी किया जाएगा।
केंद्रीय कृषि मंत्री के अनुसार, विगत 3 वर्षों मे दुग्ध उत्पादन 137.7 मिलियन टन से बढ़कर 165.4 मिलियन टन हो गया है। लोगों को बताया जाएगा कि वे किस तरह अपने जानवरों को स्वस्थ रख सकते हैं। सरकार स्वदेशी नस्लों के संरक्षण के लिए 50 करोड़ रुपए की लागत से देश में दो राष्ट्रीय कामधेनु प्रजनन केन्द्र भी स्थापित किए हैं। राष्ट्रीय कामधेनु प्रजनन केन्द्र पहला दक्षिणी क्षेत्र में चिन्तलदेवी, नेल्लोर में और दूसरा उत्तरी क्षेत्र इटारसी, होशंगाबाद में है। बता दें दोनों ही राज्य आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश को 25 करोड़ की राशि जारी की जा चुकी है।
राष्ट्रीय कामधेनु प्रजनन केन्द्र का उद्देश्य
सरकार इस योजना के तहत देशी बोवाईन नस्लों का संरक्षण और परीक्षण करना और उनके उत्पाद तथा उत्पादकता को बढ़ाना चाहती है। इसके अलावा संकटाधीन नस्लों को लुप्त होने से बचाना उद्देश्य है। भारत सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि देश के किसान ज्यादा से ज्यादा आय अर्जित करें, युवाओं को रोजगार मिले, आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को उनका अपना हक मिले, बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधा मिले।