नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्तर की मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट से मिले फीडबैक के आधार पर एचआरडी मिनिस्ट्री अब इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए भी इसी तरह के कॉमन टेस्ट पर फैसला लेगी। मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) से मानव संसाधन मंत्रालय को भेजी गई रिपोर्ट में नीट को काफी सफल बताया गया है।
इसमें कहा गया है कि नीट से मेडिकल कॉलेजों में कैपिटेशन फीस पर लगाम लगाने में सफलता मिल रही है साथ ही पारदर्शिता भी बढ़ गई है।मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि नीट के जरिए प्रतिभावान बच्चों को चुनने में मदद मिली है। नीट के प्रयोग को काफी सफल बताया गया है।
मंत्रालय नीट की तर्ज पर ही इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए भी कॉमन एंट्रेस टेस्ट कराने पर विचार कर रही है और ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) में इस संबंध में प्रस्ताव भी पास कर दिया गया है। मंत्रालय ने बताया कि इसके लिए एक कमिटी बनाई गई है जो कॉमन एंट्रेस पर अपना सुझाव देगी।
वहीं, एक अधिकारी ने बताया कि इंजीनियरिंग कॉलेजों में अब कैपिटेशन फीस का मुद्दा तो नहीं है लेकिन पारदर्शिता और गुणवत्ता अहम मसला है। अगर नीट की तरह कॉमन एंट्रेस एग्जाम होता है तो इससे पारदर्शिता आएगी साथ ही गुणवत्ता में भी सुधार होगा। उन्होंने कहा कि अभी पैसों के दम पर स्टूडेंट्स इंजीनियरिंग कॉलेज में ऐडमिशन ले लेते हैं, लेकिन डिग्री लेकर भी वे बेरोजगार घूमते हैं।
एचआरडी मिनिस्ट्री सूत्रों के मुताबिक AICTE की जिस बैठक में कॉमन एंट्रेस टेस्ट की बात हुई थी उसमें कई राज्यों की तरफ से इस पर आपत्ति जताई गई थी जिसके बाद एक कमिटी गठित की गई जो इस पर सुझाव देगी। उनहोंने बताया कि इंजीनियरिंग कॉलेजों को यह छूट होगी कि वे ऐडमिशन का अपना मानदंड तय कर सकते हैं।