गलतियां दुरुस्त करने का GST एनुअल रिटर्न में कोई प्रावधान ही नहीं

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कोटा। गलतियों को सही करने का GST एनुअल रिटर्न में कोई प्रावधान ही नहीं है। भूल से हुई गलतियों का भारी टैक्स और ब्याज की जिम्मेदारी एनुअल रिटर्न में खड़ी हो रही है, जिसके परिणाम स्वरूप कारोबारी और टैक्स प्रोफेशनल दोनों ही तनाव की स्थिति से गुजर रहे हैं।

यह जांनकारी टैक्स बार एसोसिएशन की ओर से शहर के एक होटल में जीएसटी ऑडिट और वार्षिक रिटर्न पर आयोजित लाइव सेमिनार में एक्सपर्ट सीए आयुष गुप्ता ने दी। उन्होंने कहा कि एनुअल रिटर्न में एडीशनल टैक्स लायबिलिटी की व्यवस्था है, पर न्यू आईटीसी लेने की व्यवस्था नहीं है, जिससे व्यापारियों को नुकसान है! ऑडिट रिपोर्ट और एनुअल रिटर्न को ऑनलाइन ही फाइल करना पड़ेगा, जबकि जीएसटीएन की साइट सही तरह से काम नहीं करती है।

उन्होंने कहा कि वर्कशॉप में जो गलतियां रिटर्न भरने में हुई उनका निराकरण करने की कोशिश की गई, तब पता चला कि उन गलतियों को सही करने का एनुअल रिटर्न में कोई प्रावधान ही नहीं है। जहां पर विभाग का फायदा है, वहां पर अतिरिक्त टैक्स चुकाने का पूरा ऑप्शन रिटर्न में उपलब्ध है, जबकि इससे उलट अगर व्यापारी द्वारा किसी भी तरह की क्रेडिट लेने से रह गई है या मिस मैच तो उसे एनुअल रिटर्न में समायोजित नहीं किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि वार्षिक रिटर्न फॉर्म भरने में उन कारोबारियों को ज्यादा परेशानी आ रही है, जिन्हें पहले मासिक या त्रिमासिक रिटर्न भरने में दिक्कत हुई थी। उस समय भी बिक्री के फॉर्म GSTR-1 और खरीद के फॉर्म जीएसटीआर 2a के मिलान में परेशानी हुई थी । वार्षिक रिटर्न भरने में भी उनका रिटर्न GSTR-1 से अपडेट नहीं ले रहा है।

2 करोड़ से अधिक टर्नओवर वाले व्यापारियों को जीएसटी ऑडिट कराना जरूरी
जीएसटी ऑडिट 2 करोड़ से अधिक टर्नओवर वाले व्यापारियों को कराना आवश्यक है। सीए इंस्टीट्यूट की गाइडलाइंस के अनुसार यह टर्नओवर 1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2018 तक का देखना है, जबकि जीएसटी 1 जुलाई 2017 से लागू हुआ है! जीएसटी ऑडिट और एनुअल रिटर्न की आखिरी तारीख 30 जून है । अगर इसके बाद एनुअल रिटर्न भरते हैं तो ₹200 प्रति दिन के हिसाब से पेनल्टी लगेगी । अधिकतम पेनल्टी टर्नओवर के आधा फ़ीसदी तक लगाई जाएगी ।

ऑडिट फॉर्मेट में कई खामियां
टैक्स बार एसोसिएशन कोटा के अध्यक्ष एडवोकेट राजकुमार विजय ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2017-18 की वार्षिक रिटर्न और जीएसटी ऑडिट मैं देरी का प्रमुख कारण जीएसटीएन के द्वारा अपूर्ण तैयारी रही है। फॉर्मेट इतनी देरी के बाद आए हैं । उनमें कई तरह की खामियां हैं, जिससे टैक्स प्रोफेशनल बुरी तरह से परेशान हैं। क्योंकि किसी भी तरह के संशोधन और रद्दोबदल को स्वीकार नहीं किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि फॉर्मेट में ऐसी जानकारियां मांगी गई है जो छोटे व्यापारियों और इंडस्ट्रीज के लिए एक प्रकार का चैलेंज बना हुआ है। दूसरी तरफ सरकार द्वारा अभी तक भी क्लेरिफिकेशन जारी किए जा रहे है। एनुअल रिटर्न फाइल करने के बाद ही जीएसटी ऑडिट की जा सकेगी और किसी भी प्रकार की गलती होने पर ऑडिट में उसे सही नहीं किया जा सकेगा । परिणामस्वरूप विभाग द्वारा नोटिस दिया जाएगा और पेनल्टी लगाई जाएगी ।

टैक्स बार एसोसिएशन के सचिव सीए लोकेश माहेश्वरी ने सब का आभार व्यक्त किया । सीए हितेश दयानी ने बताया कि सेमिनार में 146 लोगों ने भाग लिया पूरे सत्र को स्टडी सर्किल चेयरमैन एडवोकेट ओम बड़ोदिया ने संचालित किया ।