मुंबई। अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) पर मंगलवार को दिवालिया कार्रवाई शुरू हुई। नया रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (आरपी) नियुक्त करने और क्रेडिटर्स की कमेटी (सीओसी) बनाने के लिए आरकॉम के कर्जदाता नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) पहुंचे। यह किसी कंपनी के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने के लिए पहला कदम होता है।
आरकॉम ने पिछले साल दिवालिया प्रक्रिया पर स्टे लिया था लेकिन असेट्स की बिक्री में विफल रहने पर इस साल फरवरी में खुद ही दिवालिया प्रक्रिया में जाने का फैसला लिया था। कंपनी के बोर्ड ने कहा था कि यह कदम सभी संबंधित पक्षों के हित में होगा। इससे 270 दिन की तय अवधि में आरकॉम की संपत्ति बेचकर कर्ज के भुगतान की पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित हो सकेगी। पिछले दिनों आरकॉम ने अपीलेट ट्रिब्यूनल से स्टे की अपील वापस ले ली थी।
कारोबार में घाटा होने और कर्ज बढ़ने की वजह से आरकॉम ने 2 साल पहले ऑपरेशंस बंद कर दिए थे। उसने रिलायंस जियो को स्पेक्ट्रम बेचकर दिवालिया होने से बचने की कोशिश की लेकिन लंबी कानूनी प्रक्रिया और सरकार की ओर से मंजूरी में देरी की वजह से डील नहीं हो पाई।
इस साल मार्च में आरकॉम के चेयरमैन अनिल अंबानी ने बड़े भाई की मदद से एरिक्सन के 480 करोड़ रुपए चुकाए और सुप्रीम कोर्ट की अवमानना से बचे, नहीं तो अनिल अंबानी को जेल जाना पड़ता। एरिक्सन ही पिछले साल आरकॉम के खिलाफ एनसीएलटी गई थी।
एरिक्सन से पहले चाइना डेवलपमेंट बैंक ने भी दिवालिया अदालत (एनसीएलटी) का दरवाजा खटखटाया था। आरकॉम ने उससे 1 अरब डॉलर का कर्ज लिया था। बाद में आरकॉम ने मुंबई स्थित अपने मुख्यालय का एक हिस्सा देकर सेटलमेंट किया।
पिछले हफ्ते 3 तारीख को एसबीआई ने आरकॉम पर दिवालिया प्रक्रिया के लिए आरपी शॉर्टलिस्ट करने के लिए मीटिंग रखी। अप्रैल में इसका प्रस्ताव पेश किया था। आरकॉम के क्रेडिटर्स की कमेटी को 66 फीसदी वोटों के साथ नए आरपी के लिए मंजूरी देनी होगी। एनसीएलटी की मुंबई बेंच ने मौजूदा आरपी को 30 मई तक प्रोग्रेस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। उसी दिन मामले की सुनवाई होगी।