मुंबई। भारत सरकार ने गेहूं पर इम्पोर्ट ड्यूटी 30 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी कर दी है। भारत दुनिया में गेहूं का दूसरा बड़ा प्रोड्यूसर है और इससे किसानों को खासा फायदा होगा। सरकार ने शुक्रवार की शाम इससे संबंधित नोटिफिकेशन जारी किया। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली सरकार कृषि उपज की कम कीमतों से ग्रामीण इलाकों में असंतोष को कम करने पर जोर दे रही है और इसे लोकसभा चुनाव के बीच इस दिशा में उठाया गया अहम कदम माना जा रहा है।
इस साल 11 फीसदी घट चुकी हैं गेहूं की कीमतें
गौरतलब है कि बीते साल सप्लाई बढ़ने और रिकॉर्ड आउटपुट के चलते वर्ष 2019 में गेहूं की कीमतों में लगभग 11 फीसदी की कमी आ गई है। ग्लोबल मार्केट में कीमतों में गिरावट के चलते भी गेहूं पर प्रेशर बढ़ गया था।अब इम्पोर्ट ड्यूटी में बढ़ोतरी के चलते फ्लोर मिल्स के लिए गेहूं का इम्पोर्ट करना अव्यावहारिक हो जाएगा। एक एक्सपर्ट के मुताबिक, देश में गेहूं का उत्पादन ज्यादा बना हुआ है और ऐसे में सरकार कीमतों को सपोर्ट लेवल से ऊपर बनाने रखने की कोशिश कर रही है।
2019 के लिए 6 फीसदी बढ़ाया था एमएसपी
सरकार ने वर्ष 2019 के लिए मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) लगभग 6 फीसदी बढ़ाकर 1,840 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया है। सरकार देश में होने वाली पैदावार का लगभग 25 फीसदी गेहूं एमएसपी पर खरीदती है। इस गेहूं को सरकार फूड वेलफेयर प्रोग्राम के लिए इस्तेमाल करती है।
2019 में 2 फीसदी पैदावार बढ़ने का अनुमान
एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के अनुमानों के मुताबिक, 2019 में भारत में गेहूं की पैदावार 2 फीसदी की बढ़त के साथ रिकॉर्ड 9.912 करोड़ टन रहने का अनुमान है। गेहूं की बुआई अक्टूबर की आखिर में होती है और इसकी कटाई मार्च में शुरू हो जाती है। वहीं गेहूं ऐसी अकेली फसल है, जिसकी पैदावार भारत में हर साल बढ़ रही है।
30 फीसदी बढ़ा गेहूं का स्टॉक
1 अप्रैल, 2019 को सरकार का गेहूं का स्टॉक 1.70 करोड़ टन था, जो एक साल पहले की तुलना में 30 फीसदी ज्यादा है। भारत के फ्लोर मिलर्स ने वित्त वर्ष 2017-18 में 16.5 लाख टन गेहूं का इम्पोर्ट किया, जबकि एक साल पहले समान अवधि में यह आंकड़ा 57 लाख टन रहा था। भारत मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, रूस और युक्रेन से गेहूं का आयात करता है।