पुलवामा अटैक: ट्रैक नहीं हो इसलिए किया वर्चुअल सिम का इस्तेमाल

0
880

14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे। पुलवामा में हुए इस हमले के दौरान आतंकियों ने ‘वर्चुअल सिम’ का इस्तेमाल किया था। रिपोर्ट्स का दावा है कि हमलावर सीमा के उस तरफ जैश के साथ लगातार इस वर्चुअल सिम के जरिए संपर्क में था।

अधिकारियों ने बताया कि जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी पुलवामा हमले को अंजाम देने के लिए वर्चुअल सिम का इस्तेमाल कर रहे थे, जो अमेरिका के एक सर्विस प्रवाइडर द्वारा बनाया गया था। तो चलिए आज हम आपको बता रहे हैं इस वर्चुअल सिम के बारे में —

रजिस्टर्ड सिम कार्ड की जरूरत नहीं :वर्चुअल सिम में आपको अपना मोबाइल नंबर ऐक्टिव करने के लिए किसी लोकल रजिस्टर्ड सिम कार्ड की जरूरत नहीं पड़ती है। यह कंप्यूटर से जेनरेट किया हुआ मोबाइल नंबर होता है और सर्विस प्रवाइडर के आधार पर यह नंबर यूके, अमेरिका या फिर किसी भी देश का नंबर हो सकता है।

ऐप के जरिए होती है कॉलिंग: इसके लिए यूजर्स को उस सर्विस प्रवाइडर का ऐप डाउनलोड करना होता है, जिसके जरिए वह उस वर्चुअल नंबर से किसी को भी कॉल कर सकता है।इसके लिए यूजर्स को उस सर्विस प्रवाइडर का ऐप डाउनलोड करना होता है, जिसके जरिए वह उस वर्चुअल नंबर से किसी को भी कॉल कर सकता है।

सोशल नेटवर्किंग साइट से लिंक्ड होता है नंबर:यह वर्चुअल नंबर वॉट्सऐप, फेसबुक, टेलिग्राम और ट्विटर जैसे सोशल नेटवर्किंग साइट से लिंक्ड होता है। इन सोशल नेटवर्किंग साइट द्वारा जेनरेट किया गया वेरिफिकेशन कोड स्मार्टफोन पर आता है, जिसके जरिए मोबाइल कनेक्शन को ऐक्टिव किया जा सकता है।

वर्चुअल सिम के जरिए यूजर 50 से ज्यादा देशों में लोकल फोन से कॉल कर भी सकते हैं और रिसीव भी कर सकते हैं। ज्यादातर वर्चुअल सिम प्रवाइडर इसके लिए कोई लिमिट नहीं रखते हैं यानी कोई व्यक्ति सिम कार्ड में कितने भी वर्चुअल नंबर रख सकता है।

+1 से शुरू हो रहे नंबरों का इस्तेमाल :अधिकारियों का कहना है पुलवामा आतंकी +1 से शुरू हो रहे नंबरों का इस्तेमाल कर रहे थे। ये मोबाइल स्टेशन इंटरनैशनल सब्सक्राइबर डायरेक्ट्री नंबर (एमएसआइएसडीएन) होते हैं, जो अमेरिका में इस्तेमाल किए जाते हैं। सुरक्षा एजेंसिया अब यह ट्रैक करेंगी कि आखिर इस वर्चुअल सिम के लिए भुगतान किसने किया था और इसे ऐक्टिवेट किसने किया था।

बता दें कि भारत पुलवामा हमले के दौरान इस्तेमाल हुए वर्चुअल सिम के सेवा प्रदाता से जानकारी मांगने के लिए अमेरिका से अनुरोध करेगा। आगे की जांच के लिए वर्चुअल सिम द्वारा जेनरेट किए गए इंटरनेट प्रोटोकॉल (IP) अड्रेस की भी जानकारी मांगी गई है।