नई दिल्ली। खास तरह के सिक्यॉरिटी कैमरों ने चोरों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ये सिक्यॉरिटी कैमरे चाल देखकर चोरों को पहचान लेते हैं। सिक्यॉरिटी कैमरे आर्टिफिशल इंटेलीजेंस से लैस हैं। जापान में इन खास कैमरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। चोर कोई सामान चुराए उससे पहले ये कैमरे उन्हें पहचान लेते हैं। ये सिक्यॉरिटी कैमरे स्टोर में खरीदारी करने आए लोगों के असामान्य और बेचैनी भरे व्यवहार पर नजर रखते हैं और एक स्मार्टफोन ऐप के जरिए स्टोर्स के स्टाफ को अलर्ट कर देते हैं।
इसके बाद स्टोर के कर्मचारी उस व्यक्ति के पास पहुंच जाते हैं और उससे पूछते हैं कि क्या वे उनकी कोई मदद कर सकते हैं। स्टोर इस रणनीति के जरिए अपने यहां चोरी की घटनाएं रोक रहे हैं। आर्टिफिशल इंटेलीजेंस टूल वाले इन सिक्यॉरिटी कैमरों को जापान की स्टार्ट अप कंपनी Vaak ने बनाया है। टोक्यो के स्टोर्स में बड़े पैमाने पर इन कैमरों का यूज किया जा रहा है।
इस AI टूल को मौजूदा सिक्यॉरिटी कैमरों में लोड किया जा सकता है और ये रियल टाइम में फुटेज पर नजर रखते हैं। इन सिक्यॉरिटी कैमरों को कोई क्राइम होने से पहले उसे रोकने के लिए डिजाइन किया गया है। इस टूल में फेशियल रिकॉग्निशन सॉफ्टवेयर और दूसरी आर्टिफिशल टेक्नॉलजी स्टोर में लोगों के चाल-फेर पर नजर रखती है। इसमें व्यक्ति की अनुमानित उम्र, जेंडर, फेवरिट आइटम और दूसरी चीजें आ जाती हैं।
सस्पिशन रेटिंग देते हैं सिक्यॉरिटी कैमरे
आर्टिफिशल इंटेलीजेंस से पावर्ड कैमरे लोगों की बेचैनी, अस्थिरता और दूसरी संदेहास्पद बॉडी लैंग्वेज का पता लगा सकते हैं। इसके बाद, यह लोगों का स्कोर तय करते हैं। स्कोर के आधार पर Vaak का सिस्टम सस्पिशन रेटिंग (शंका से जुड़ी रेटिंग) देता है। अगर किसी व्यक्ति की रेटिंग बहुत ज्यादा होती है तो यह उस आधार पर स्टोर के स्टाफ को अलर्ट करता है।
इस टेक्नॉलजी का इस्तेमाल करने वाली कंपनियों से कहा गया है कि वह इस बात का खुलासा न करें कि किस स्टोर में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। हालांकि, सिक्यॉरिटी एक्सपर्ट AI सर्विलांस के खतरों के बारे में चेतावनी दे चुके हैं। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने फ्यूचर ऑफ टेक रिपोर्ट में चेताया था कि इंटेलीजेंट सिक्यॉरिटी कैमरे अचानक से निर्दोष लोगों को भी क्राइम का जिम्मेदार ठहरा सकते हैं।