मृत्यु कब आ जाए पता नहीं, इसलिए भगवान की भक्ति आज से ही

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कोटा। गीता भवन में रासेश्वरी देवी ने आज अपने प्रवचन में कहा कि हम हमेशा ईश्वर के भजन को टालते रहते हैं। बालपन में सोचते हैं, जवानी में करेंगे और जवानी में सोचते हैं, बुढ़ापे में करेंगे, लेकिन समय यूं ही बीत जाता है। भगवान संबंधी कार्य में उधार करते रहने के कारण एक दिन हमारी मृत्यु भी हो जाती है।

हम अपने जीवन में आत्मा संबंधी कार्य को प्राथमिकता नहीं देते। समय मिलने पर करेंगे, यह सोचते हैं । उन्होंने कहा कि बुद्धिमत्ता यह है कि काम क्रोध आदि विकारों को कल पर छोड़ना चाहिए और आत्मा संबंधी कार्य को तुरंत करना चाहिये।

देवी ने इस बात पर चिंता प्रकट किया कि हम अपना समय अनावश्यक बातों में नष्ट कर देते हैं। जो ज्ञानी होता है वह अपने भीतर अच्छी बातों को भरता है, पर जो बुद्धिमान होता है वह अपने द्वारा अर्जित ज्ञान का समय पड़ने पर उपयोग करता है । अगर हम संतों की बातों को सुनते हैं, पर फिर भी निराशा है, तो इसका मतलब हम उस ज्ञान का उपयोग नहीं कर रहे हैं ।

इस मनुष्य शरीर में बुद्धिमानी यह है कि वह विवेक को सदा साथ रखते हुए अपने लक्ष्य वास्तविक आनंद भगवान की ओर बढ़े। देवी ने बताया कि संसार का विषय क्षणिक सुख देता है, एक दिन नष्ट हो जाता है और स्वार्थ पर आधारित है। लेकिन भगवान का सुख अनंत मात्रा का होता है, सदा बढ़ता रहता है।