कोटा। पुष्टिमार्ग के प्रथम निधि स्वरूप बड़े मथुराधीश प्रभु के पुष्टि महोत्सव और लालन कृष्णास्य बावा के उपनयन संस्कार महोत्सव के पांचवे दिन बुधवार को प्रथमेश नगर छप्पन भोग परिसर पर ठाकुर महल में विराजे। इस दौरान ठाकुरजी विवाह के भोज के रूप में छप्पन भोग सजाया गया। भगवान के दर्शनों के लिए भक्तजन उमड़ पड़े। विवाह के खेल के रूप में हरिहर बाबा ने सिर पर गिलास रखकर 71 मटकों के गुंबद बनाकर से नृत्य किया।
शास्त्रीय धुनों पर एक से बढ़कर एक भजनों की प्रस्तुति दी गई। इस दौरान ठाकुरजी की महाआरती की गई। जिला जज योगेन्द्र उपाध्याय और एकता धारीवाल ने भी आशीर्वाद लिया। राजेश तैलंग के बांसुरी वादन ने शमां बांध दिया।
मिलन गोस्वामी महाराज ने बताया कि वल्लभ संप्रदाय में गिरनारा ब्राह्मण, औदिच्य ब्राह्मण और सांचौरा ब्राह्मणों के द्वारा ही भोग सिद्ध किया जाता है। कोटा में 30 क्विंटल देशी घी से जतीपुरा ब्रज से पधारे सांचौरा ब्राह्मणों की 16 लोगों की टोली ने ठाकुरजी का भोग सिद्ध किया है।
कृष्णास्य बाबा का गादी तिलक 26 को होगा
महाराज वल्लभाचार्य की 20 पीढ़ी के 17वें तिलकायत लालन कृष्णास्य बावा का उपनयन संस्कार 26 जनवरी को होगा। इसके बाद कृष्णास्य बाबा को सेवा का अधिकार प्राप्त होगा और वे दीक्षा देने के अधिकार को भी प्राप्त कर लेंगे।
संप्रदाय के गुरु मिलन गोस्वामी महाराज ने बताया कि 24 जनवरी को विवाह का मनोरथ होगा। इसमें सुबह 9.30 बजे गणेश स्थापना तथा 10.30 बजे से कुल देवता स्थापना और वृद्धि की सभा आयोजित की जाएगी। इसके बाद 11 बजे विवाह के खेल का मनोरथ होगा, जिसमें ठाकुरजी सोने की हटरी में विराजेंगे।
इसी दिन शाम को 4 बजे से बिनकी लालन कृष्णास्य बावा की जनेऊ निमित्त शोभायात्रा निकाली जाएगी। जिसमें लालन कृष्णास्य बाबा जोधपुर से मंगाई गई विंटेज कार में सवार होकर चलेंगे। बैंडबाजों के साथ गढ़ पैलेस तक घोड़े पर तथा इसके उपरांत हाथी पर सवारी चलेगी। शोभायात्रा में 6 घोड़े और तीन हाथी चलेंगे।
इनका लगाया भोग
भोग के दर्शनों के दौरान ठाकुरजी को छप्पन प्रकार की तरकारी का भोग लगाया गया। इसमें भात, दाल, चटनी, कढ़ी, दही शाक की कढ़ी, सिख रिणी, अवलेह, बाटी, मुरब्बा, त्रिकोण (शर्करा युक्त), बटक, मठरी, फेणिका, पूड़ी, शतपत्र, सधिद्रक (घेवर), मालपुआ, जलेबी, धृतपूर, रसगुल्ला, चंद्रकला, महारायता,थूली, लौंग पूरी, खुरमा, दलिया, परिखा, दधिरूप, लड्डू, शाक, सौधान अचार, मोठ, खीर, दही, गोघृत, मक्खन, मलाई, रबड़ी, पापड़, सीरा, लस्सी, सुवत, संघाय (मोहन), सुपारी, इलायची, फल, तांबूल, मोहन भोग, लवण, कषाय, मधुर, तिक्त का भोग लगाया गया।