10 Years Challenge के बहाने कहीं आपका डेटा तो चोरी नहीं

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वॉशिंगटन। सोशल मीडिया से जुड़ा करीब हर व्यक्ति आज इन शब्दों से परिचित है। लोग हैशटैग 10 ईयर चैलेंज के तहत उत्साह के साथ अपनी तस्वीरें साझा कर रहे हैं। दरअसल इस चैलेंज के तहत लोगों को अपनी दो तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा करने को कहा जा रहा है। एक तस्वीर आज की और एक 10 साल पहले की।

इस चैलेंज को लोग हाथों-हाथ ले रहे हैं। सामान्य यूजर से लेकर सेलेब्रिटी तक सब इस चैलेंज के तहत तस्वीरें पोस्ट कर रहे हैं। कुछ लोगों ने इसे निजी तस्वीरों से आगे का चैलेंज भी बना दिया है। अपनी-अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता के हिसाब से लोग सरकार के कामों के तुलनात्मक अध्ययन के लिए भी इस चैलेंज का रास्ता अपना रहे हैं। इस अभियान के बीच एक पोस्ट ने लोगों को उलझन में डाल दिया है।

लेखिका केट ओ”नील ने अपनी पोस्ट में इस पूरे अभियान के पीछे की मंशा पर ही सवाल उठा दिया है। उनका कहना है कि इस अभियान के नाम पर लोग अनजाने में ही बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों को एक खास किस्म का डेटा सौंप रहे हैं। प्रौद्योगिकी और तकनीकी लेखन के क्षेत्र में केट एक जाना-पहचाना नाम हैं। इसलिए अभियान पर उनके संदेह जताने के बाद कई लोग इस पर संदेह जताने लगे हैं।

क्या है केट का संदेह?
केट को लगता है कि यह अभियान महज तस्वीरें साझा करने का नहीं है, बल्कि बड़ी टेक कंपनियां इसकी मदद से खास डेटा जुटा रही हैं। यह अभियान कंपनियों को बैठे-बिठाए लोगों की शक्ल पहचानने का मौका दे रहा है।

इसकी मदद से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के क्षेत्र में काम कर रही कंपनियां लोगों की शक्ल पहचानने के लिए ज्यादा कारगर सॉफ्टवेयर विकसित करने में सक्षम हो सकती हैं। यह अभियान मुख्य रूप से फेसबुक और इंस्टाग्राम पर चल रहा है। हाल में फेसबुक पर लगे डेटा चोरी के आरोपों को देखते हुए लोगों को केट की बात पर भरोसा भी हो रहा है।

कैसे हो सकता है डेटा का इस्तेमाल?
इस अभियान के जरिए एआई पर काम करने वाली मशीन को किसी व्यक्ति की ऐसी दो तस्वीरें मिल जाएंगी, जिनमें 10 साल का अंतर है। इनकी मदद से मशीन के लिए यह समझना आसान होगा है कि 10 साल में उस व्यक्ति का चेहरा कितना और किस तरह बदला।

बड़े पैमाने पर ऐसे डेटा के अध्ययन से ऐसा एल्गोरिदम तैयार करना संभव हो सकता है, जिसकी मदद से किसी भी व्यक्ति की 10 साल पुरानी तस्वीर के जरिए उसकी आज की शक्ल का सटीक अंदाजा लग सके।