नई दिल्ली।आम चुनावों से पहले देश की स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के लिए और कदम उठाए जा सकते हैं। वर्ष 2017 की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति को आगे बढ़ाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय देशभर के सरकारी अस्पतालों में मरीजों के आंकड़ों को एक साझा प्लेटफॉर्म पर लाने की कोशिश में जुटा है। इससे डॉक्टरों को आसानी होगी और वे कहीं से भी मरीजों की जानकारी देख सकते हैं।
मरीजों के आंकड़ों को आईटी आधारित व्यवस्था में ले जाने से एक नैशनल हेल्थ स्टैक योजना बनेगी। यह सितंबर 2018 में शुरू की गई आयुष्मान भारत बीमा परियोजना के पूरक का काम करेगी। मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने कहा, ‘मुख्य रूप से यह अस्पतालों को व्यवस्थित करेगी जहां मरीजों के आंकड़ों को व्यवस्थित ढंग से नहीं रखा जाता है।’
मंत्रालय का मानना है कि इस योजना से सभी राज्यों के सरकारी अस्पतालों को अपने मरीजों के आंकड़े साझा करने की अनुमति मिलेगी और आगे चलकर रोकथाम और इलाज में मदद मिलेगी। अभी यह संभव नहीं है क्योंकि डॉक्टरों के पास कोई केंद्रीय डेटा बेस नहीं है
अधिकारी ने कहा, ‘इससे न केवल अस्पतालों का काम आसान होगा बल्कि रिकॉर्ड साझा होने से मरीज को भी शुरुआती दौर में ही इलाज मिलेगा।’ करीब 200 सरकारी अस्पताल अपने मरीजों के आंकड़ों के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया में हैं और योजना शुरू होने के बाद उनके आंकड़े एकदूसरे के लिए उपलब्ध होंगे।
यह एक तरह से मरीजों का डिजिटल लॉकर है जहां केवल संबंधित व्यक्ति की ही अपने रिकॉर्ड तक पहुंच होगी। हेल्थ स्टैक सरकारी अस्पतालों के रिकॉर्ड में उपलब्ध संसाधनों के आधार पर बनाया जाएगा। इस योजना का बजट दोनों मंत्रालय साझा करेगा। इस कार्यक्रम के धन की व्यवस्था राज्य और केंद्र करेंगे क्योंकि इसमें शामिल अधिकांश अस्पताल राज्य सरकारों के हैं।