नई दिल्ली। ब्लैक मनी का खुलासा करने के लिए डीमॉनेटाइजेशन के दौरान घोषित की गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKY) ज्यादा सफल नहीं हुई है। इस स्कीम के तहत लगभग 5,000 करोड़ रुपये ही घोषित किए गए हैं।
रेवेन्यू सेक्रेटरी हसमुख अधिया ने इस स्कीम में लोगों के ज्यादा दिलचस्पी नहीं लेने के दो कारण बताए। उनका कहना था कि स्कीम की घोषणा से पहले लोगों ने अपनी नकदी को अलग-अलग खातों में जमा करने की कोशिश की थी। एक अन्य कारण इसमें इंटरेस्ट न मिलना था।
दिसंबर 2016 में शुरू की गई इस स्कीम में डीमॉनेटाइजेशन के बाद अपनी अघोषित नकदी बैंकों में जमा करने वाले लोगों को सरकारी कार्रवाई से बचने का अंतिम मौका दिया गया था। स्कीम के तहत लोगों को घोषित की गई रकम का 50 पर्सेंट टैक्स और पेनाल्टी के तौर पर चुकाना था और 25 पर्सेंट चार वर्षों के लिए एक बिना इंटरेस्ट वाले डिपॉजिट में रखना था।
फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने कहा कि PMGKY को मिली प्रतिक्रिया को अलग से नहीं देखना चाहिए क्योंकि इससे पहले ब्लैक मनी घोषित करने के लिए इनकम डिस्क्लोजर स्कीम (IDS) पेश की गई थी, जो 30 सितंबर को समाप्त हुई थी।
जेटली के मुताबिक, ‘पहले IDS पेश की गई।
इसके बाद लोगों ने यह सोचकर बैंकों में कैश जमा किया कि उस पर टैक्स देना होगा और फिर PMGKY घोषित की गई थी। जब आप घोषित की गई कुल रकम को देखते हैं तो आपको इन तीनों को एक साथ देखना होगा।’ IDS के तहत कुल डिक्लेयरेशन 65,000 करोड़ रुपये से अधिक का था।
हालांकि, ब्लैक मनी का डिक्लेयरेशन सरकार की उम्मीद से कम रहा है, लेकिन इनकम टैक्स डिपार्टमेंट 2016-17 में लगभग 91 लाख नए टैक्सपेयर्स जोड़ने में सफल रहा। डीमॉनेटाइजेशन के बाद वापस आई कुल करेंसी के बारे में पूछने पर, जेटली ने कहा कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) अभी इसका कैलकुलेशन कर रहा है।
उन्होंने बताया, ‘बैंकों को दी गई कुल करेंसी के बारे में RBI ने डीमॉनेटाइजेशन प्रोसेस के दौरान समय-समय पर एक आंकड़ा दिया था, लेकिन अब यह काम पूरा हो चुका है और RBI एक महत्वपूर्ण संस्थान होने के नाते अनुमान नहीं दे सकता। अब प्रत्येक करेंसी नोट की गिनती करनी होगी। अगर कोई जाली नोट आता है तो उसे हटाना होगा और वास्तविक आंकड़ा पेश करना होगा।