नई दिल्ली। डेबिट व क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करना क्या मंगलवार से बंद हो जाएगा। यह एक बड़ा सवाल है क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने विदेशी पेमेंट गेटवे कंपनियों को अपना सर्वर लगाने के लिए 15 अक्तूबर की तारीख को तय किया था। आरबीआई ने इस समय सीमा में किसी तरह की कोई छूट देने से मना कर दिया है, जिसका असर मंगलवार से 90 करोड़ ग्राहकों पर पड़ने की संभावना है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कार्ड जारी करने वाली विदेशी कंपनियों के लिए एक नियम जारी किया था, जिसके अनुसार इन कंपनियों को देश में अपना डाटा सेंटर खोलने के लिए कहा गया था। इसके लिए 15 अक्तूबर की समयसीमा दी गई थी।
अमेरिका ने किया विरोध
अमेरिका ने भी भारत पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है कि सिर्फ भारत में डाटा रखने की शर्त से छूट दी जाए। अब कंपनियां कह रही हैं कि वो खुद डाटा सेंटर को भारत लाना चाहती हैं लेकिन इतनी जल्दबाजी में सब करना मुश्किल है।
इन कंपनियों का जारी होता है कार्ड
देश में ज्यादातर बैंक अपने ग्राहकों को मास्टरकार्ड या फिर वीजा का डेबिट-क्रेडिट कार्ड जारी करते हैं। इन कंपनियों का कहना है कि वक्त तो कम है ही, उन्हें नई पॉलिसी की पूरी जानकारी भी नहीं है। डाटा स्थानीय स्तर पर लागू करने के दौरान व्यापारियों को ज्यादा सावधान रहना होगा और उपभोक्ताओं को नए सिरे से कागजात देने होंगे।
फीका हो जाएगा फेस्टिव सीजन
आरबीआई के इस फैसले से आगामी फेस्टिव सीजन के फीका रहने की आशंका है। नोटबंदी के बाद से देश में डेबिट व क्रेडिट कार्ड का चलन काफी बढ़ा है। ज्यादातर लोग अब कार्ड के जरिए ही खरीदारी करते हैं। भारत ने भी अपना रूपे डेबिट क्रेडिट कार्ड जारी करना शुरू कर दिया है। लेकिन ऐसे लोगों की संख्या काफी कम है, जिनके पास रूपे कार्ड है।
कार्ड बंद होने पर इनका बढ़ेगा उपयोग
अगर मास्टरकार्ड, अमेक्स और वीजा के डेबिट व क्रेडिट कार्ड बंद होते हैं तो फिर लोगों के पास कैश के अलावा यूपीआई, नेटबैंकिंग और मोबाइल वॉलेट जैसे भुगतान करने के विकल्प ही बचेंगे। लेकिन इनसे भी वो ही लोग भुगतान कर सकेंगे, जिनके पास इंटरनेट कनेक्शन हो और वो ऐसे ऐप का प्रयोग करना अच्छे से जानते हो।
बढ़ जाएगी कैश की किल्लत
कार्ड के बंद होने से लोगों के पास कैश की किल्लत भी हो जाएगी। ज्यादातर लोग अभी भी अपने डेबिट कार्ड का इस्तेमाल एटीएम से पैसा निकालने के लिए करते हैं। अगर लोग एटीएम से पैसा नहीं निकाल पाएंगे, तो फिर वो फेस्टिव सीजन में शॉपिंग कैसे करेंगे। आरबीआई का यह फैसला 90 करोड़ लोगों पर भारी पड़ सकता है।