मुंबई। दुनिया की शक्तिशाली महिलाओं में शामिल रहीं आईसीआईसीआई (ICICI) बैंक की पूर्व प्रमुख चंदा कोचर ने अपने पद से इस्तीफा देने में आखिर इतना वक्त क्यों लिया? वह 2009 से बैंक के सीईओ और एमडी पद पर थीं। उन पर लोन फ्रॉड का आरोप है। वह 18 जून 2018 से ही छुट्टी पर चल रही थीं। मीडिया रिपोर्ट में उनके इस्तीफे के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं।
कहा जा रहा है कि लोन फ्रॉड की जांच रिपोर्ट उनके खिलाफ है। वीडियोकॉन-आईसीआईसीआई बैंक लोन विवाद की जांच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बीएन श्रीकृष्णा कर रहे हैं। अभी यह जांच रिपोर्ट पूरी नहीं हुई है।
18 जून से थीं छुट्टी पर चंदा
इसके अलावा एक कारण यह भी माना जा रहा है कि चंदा कोचर जून से छुट्टी पर थीं। उनके खिलाफ जारी जांच पूरी होने में लंबा समय लग रहा था। इससे बैंक के शेयरों पर उलटा असर पड़ रहा था। शेयर भाव गिर रहे थे। इस्तीफे से एक बचत जरूर हुई है कि वह बैंक की आचार संहिता से मुक्त हो गईं। अब वह कुछ और करने के लिए मुक्त हैं।
3 दिन पहले दिया है इस्तीफा
आईसीआईसीआई बैंक ने गुरुवार को उनका इस्तीफा स्वीकार किया। इसके साथ ही चंदा का बैंक से 34 साल पुराना नाता टूट गया। उनके स्थान पर संदीप बक्शी को 5 साल के लिए सीईओ बनाया गया है। कोचर का कार्यकाल मार्च, 2019 तक था।
क्या है मामला
चंदा कोचर पर आरोप है कि उन्होंने बैंक नियमों से अलग वीडियोकॉन ग्रुप को लोन सेंक्शन कराए थे। वीडियोकॉन ग्रुप ने इन लोन का इस्तेमाल चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की कंपनी न्यूपावर रिन्यूएबल्स को फायदा पहुंचाने के लिए किया था।
चंदा कोचर के छुट्टी पर जाने से पहले मई में बैंक ने अमेरिकी मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) में फाइलिंग के दौरान कहा था कि कोचर के खिलाफ लगे आरोपों से बैंक और दूसरी सब्सिडियरीज के कामकाज पर असर पड़ सकता है। बैंक का कारोबार भी ठप पड़ सकता है।