मुंबई। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने आज उस विवादास्पद परिपत्र (10 अप्रैल को जारी) को नरम बना दिया, जिसमें विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए अपने ग्राहक को जानो (केवाईसी) और स्वामित्व नियमों का प्रावधान किया गया है।
बाजार नियामक ने विदेशी नागरिकता प्राप्त भारतीयों (ओसीआई) सहित निवासी और प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) को एफपीआई के रास्ते भारतीय बाजारों में निवेश की मंजूरी दे दी। हालांकि इस पर कुछ शर्तें लगाई गई हैं। पहले जारी परिपत्र में भारत से जुड़े लोगों को किसी विदेशी फंड में निवेश या उसके प्रबंधन से पूरी तरह रोक दिया गया था।
हालांकि नियामक ने यह बात दोहराई है कि एफपीआई को धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के नियमों के मुताबिक केवाईसी की जरूरतें पूरी करनी होंगी। सेबी के 10 अप्रैल की विदेेशी निवेशकों विशेष रूप से भारत से जुड़ाव रखने वाले निवेशकों ने आलोचना की थी, जिसके बाद नियामक ने यह ताजा घोषणा की है।
कुछ निवेशकों ने परिपत्र पर फिर से विचार करने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय से संपर्क किया था। ताजा परिपत्र में वे उपाय शामिल किए गए हैं, जो भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर एचआर खान की अगुआई वाली समिति ने इस महीने की शुरुआत में सुझाए थे।
सेबी ने कहा कि एनआरआई, ओसीआई और निवासी भारतीय विदेशी फंड में 25 फीसदी से अधिक का योगदान नहीं कर सकते हैं। किसी एफपीआई में इन निवेशकों का कुल योगदान 50 फीसदी हो सकता है।
निवासी भारतीय आरबीआई की उदार प्रेषण योजना (एलआरएस) के जरिये योगदान कर सकते हैं जिसमें हरेक निवेशक एक वित्त वर्ष में 250,000 डॉलर का निवेश कर सकता है। बाजार नियामक ने कहा कि एनआरआई, ओसीआई या निवासी भारतीय के पास एफपीआई का नियंत्रण नहीं होना चाहिए।
बोर्ड ने साथ ही एनआरआई, ओसीआई और स्थानीय नागरिकों को किसी एफपीआई का निवेश प्रबंधक (आईएम) की तरह काम करने अनुमति दे दी बशर्ते वे कुछ शर्तों को पूरा करते हों। इनमें यह शर्त भी शामिल है कि आईएम को अपने घरेलू न्यायक्षेत्र के उचित रूप से विनियमित होना चाहिए और उसका सेबी में पंजीकरणहोना चाहिए।
सेबी ने साथ ही सभी मौजूदा एफपीआई और नए आवेदकों को नई शर्तों को पूरा करने के लिए दो साल समय दिया है जबकि खान समिति ने इसके लिए छह महीने का समय देने की सिफारिश की थी। शर्तों के अस्थायी उल्लंघन के मामले में अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए 90 दिन का समय दिया है। बाजार के जानकारों का कहना है कि नए नियमों से देश में एफपीआई के प्रवाह में तेजी आएगी।