नई दिल्ली। रुपए में गिरावट नहीं थम रही। शुक्रवार को रुपए की शुरुआत बड़ी गिरावट के साथ हुई। डॉलर के मुकाबले रुपया 21 पैसे गिरकर 70.95 के स्तर पर खुला और कारोबार के दौरान 26 पैसा टूटकर 71 प्रति डॉलर के स्तर पर आ गया।
इससे पहले गुरुवार को रुपए ने 70.90 का निचला स्तर छुआ था। महीने के अंत में की डॉलर की डिमांड और क्रूड ऑयल की कीमतें बढ़ने से ऑयल इम्पोर्टर्स द्वारा डॉलर की मांग से रुपया कमजोर हुआ है।
रुपए की ट्रेडिंग रेंज
केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया के अनुसार डॉलर के मुकाबले रुपया आज 70.61 से 71.25 की रेंज में ट्रेड कर सकता है।
15 पैसे टूटकर 70.74 प्रति डॉलर पर बंद
गुरुवार को महीने के अंत में की डॉलर की डिमांड और क्रूड ऑयल की कीमतें बढ़ने से रुपया 15 पैसे टूटकर 70.74 प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ। इंट्रा डे के दौरान रुपए ने 70.90 प्रति डॉलर का निचला स्तर छूआ, हालांकि बाद में इसमें कुछ सुधार दर्ज किया गया।
वहीं रुपए के रिकॉर्ड लो पर पहुंचने से एक्सपोर्ट महंगा होने और करंट अकाउंट डेफिसिट बढ़ने की आशंकाएं मजबूत हो गई हैं। बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 49 पैसे की गिरावट के साथ 70.59 के स्तर पर बंद हुआ था।
ग्लोबल मार्केट में डॉलर में मजबूती और स्थानीय मार्केट में गिरावट से भी रुपए को झटका लगा है। डॉलर की मजबूती को जाहिर करने वाला डॉलर इंडेक्स 0.11 फीसदी की मजबूती के साथ 94.56 के स्तर पर पहुंच गया। इससे पहले रुपए की ओपनिंग 70.64 के स्तर पर हुई थी।
एक्सपोर्टर्स के लिए बढ़ी अनिश्चितताः फियो
एक्सपोर्टर्स के संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशंस (FIEO) ने कहा कि रुपए की कमजोरी से एक्सपोर्टर्स के लिए अनिश्चित हालात बन गए हैं। फियो के प्रेसिडेंट गणेश कुमार गुप्ता ने कहा कि अब एक्सपोर्टर्स गुड्स की कीमतों को लेकर ठीक से निगोशिएट नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि रुपए को लेकर अनुमान लगाना मुश्किल हो रहा है।
रुपया और होगा कमजोर
इस साल रुपया अब तक लगबग 10 फीसदी टूट चुका है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, फॉरेन फंड आउटफ्लो, मैक्रो-इकोनॉमिक डाटा से पहले सतर्क रुख, ग्लोबल क्रूड ऑयल प्राइस में वोलैटिलिटी से रुपया नए निचले स्तर पर लुढ़क गया।
जानकारों का कहना है कि अगले कुछ हफ्तों में रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर होकर 72 का स्तर छू सकता है, जिससे क्रूड खरीदना और महंगा होगा। जीएसटी कलेक्शन उम्मीद के अनुसार न आने, डॉलर की बढ़ रही डिमांड, राजनीतिक अनिश्चितता और यूएस फेड द्वारा दरें बढ़ाए जाने के संकेत से रुपए में और कमजोरी आती दिख रही है।