नई दिल्ली। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने अनुमान जताया है कि चालू वित्त वर्ष में भारत का राजकोषीय घाटा 3.3 फीसद के लक्ष्य को पार कर सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि तेल की लगातार बढ़ रही कीमतें अल्प अवधि में वित्तीय दबाव उत्पन्न करेंगी।
अमेरिकी एजेंसी के मुताबिक, चालू खाता घाटा (सीएडी) जो कि विदेशी करेंसी के इनफ्लो और आउटफ्लो के बीच का अंतर होता है, वो और चौड़ा होगा, लेकिन भारत की बाहरी स्थिति को खतरे में नहीं डालेगा और पांच साल पहले की तुलना में यह अंतराल काफी कम रहेगा।
मूडीज ने कहा, “तेल की ऊंची कीमतें अल्प अवधि में वित्तीय दबाव उत्पन्न करेंगी। इसके बाद वस्तुओं एवं सेवाओं कर में कटौती और कुछ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्यों में अपेक्षाकृत उच्च वृद्धि भी असर डालेगी।”
सरकार ने मार्च 2019 तक चलने वाले चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे का बजटीय लक्ष्य जीडीपी के अनुपात में 3.3 फीसद रखा है। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही के दौरान राजकोषीय घाटा 68.7 फीसद तक पहुंच गया है।
इसके तेल की ऊंची कीमतों और मजबूत गैर-तेल आयात मांग से प्रेरित होने पर भी मूडीज की उम्मीद है कि मार्च 2019 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में चालू खाता घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 2.5 फीसद तक बढ़ जाएगा।
यह साल 2018 में 1.5 फीसद रहा है। मूडीज के वाइस प्रेसिडेंट और सीनियर एनालिस्ट जॉय रंकोथगे ने बताया कि तेल की ऊंची कीमतें और उच्च ब्याज दरें सरकार के बजट पर दबाव बनाएंगी।