कोटा। बीमार रोगियों को जीवन दान देने वाली लुप्त होती जड़ी बूटियों को अब सरकार जीवन दान देगी। इसके लिए लिए कोटा समेत प्रदेश भर में 21 जिलों हर्बल गार्डन विकसित किए जाएंगे। इसकी कवायद शुरू हो गई है।
आयुर्वेद एवं भारतीय चिकित्सा विभाग जयपुर ने इस गार्डन के लिए भूमि आवंटन के वास्ते जिला कलक्टर्स को पत्र भेजा है। इसके बाद कलक्टर ने विभाग से जमीन चिह्नित कर बताने को कहा है।
इन गार्डन में लुप्त होती व अन्य जड़ी-बूटियों की पैदावार की जाएगी। गुणवत्ता युक्त बीज भी तैयार किए जाएंगे। यही नहीं, भविष्य में इन गार्डन में हर्बल क्लिनिक बनाने की भी योजना है।
इन स्थानों पर बनेंगे
कोटा, झालावाड़, अलवर, भरतपुर, करौली, धौलपुर, उदयपुर, चित्तौड़, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, जयपुर, दौसा, जैसलमेर, जालौर, झुुंझुनूं, सीकर व टोंक में ये हर्बल गार्डन बनाए जाएंगे।
हर्बल क्लिनिक की भी स्थापना
राजकीय दाऊदयाल जोशी जिला आयुर्वेदिक औषधालय में मोबाइल यूनिट के प्रभारी डॉ चन्द्रेश तिवारी के अनुसार यह हर्बल गार्डन 10 हजार हैक्टेयर में विकसित किए जाएंगे। इनमें भौगोलिक परिस्थितियों के मुताबिक जड़ी बूटियों का उत्पादन किया जाएगा। जर्म प्लाज्म तकनीक से गुणवत्ता युक्त बीज तैयार होंगे। भविष्य में गार्डन में हर्बल क्लिनिक की भी स्थापना की जाएगी, ताकि रोगों का इलाज भी किया जा सके।
औषध पादपों का संरक्षण
आयुर्वेद का देश में प्राचीन काल से ही योगदान रहा है। लेकिन, अब चिकित्सीय औषधियों की कमी होती जा रही है, औषधियां लुप्त हो रही हैं। औषध पादपों का संरक्षण कर लोगों को लाभान्वित करने के लिए ये गार्डन विकसित किए जाएंगे। आयुर्वेद विभाग के अधीन फिलहाल कोई हर्बल गार्डन किसी भी जिले में नहीं हैं।
जमीन की तलाश
प्रदेश भर में 21 जिलों में हर्बल गार्डन विकसित किए जाएंगे। कलक्टर ने विभाग से हर्बल गार्डन के लिए जमीन देखने के लिए कहा है। जल्द ही उपयुक्त स्थान पर जमीन देखी जाएगी। हाड़ौती के जंगलों में कई दुर्लभ वनौषधियां हैं, गार्डन से इनका संरक्षण व संवद्र्धन करने में मदद मिलेगी।
डॉ राजेन्द्र भारद्वाज, उपनिदेशक आयुर्वेदिक विभाग