6,000 वस्तुओं पर जीएसटी की दरों के बारे में केंद्र व राज्यों के बीच सहमति

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  • साबुन, कॉस्मेटिक्स, नारियल तेल जैसे उत्पादों पर अभी नहीं बन पाई है सहमति, कर की दरों को लेकर है विवाद
  • अधिकारियों ने कहा, बैठक से पहले कुछ अन्य वस्तुओं की भी तय हो सकती हैं दर
  • उद्योग जीएसटी दरों में जल्द चाहता है स्पष्टता
  • जीएसटी परिषद में नहीं बनी बात तो 1 जुलाई की राह होगी कठिन

नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की श्रीनगर में गुरुवार को होने वाली दो दिवसीय बैठक से पहले ही करीब 6,000 वस्तुओं पर जीएसटी की दरों के बारे में केंद्र तथा राज्यों के बीच सहमति बन गई है। विवादास्पद वस्तुओं जैसे साबुन और कॉस्मेटिक्स, नारियल तेल और कार आदि पर लगने वाली दरों पर भी बैठक से पहले सहमति बनने के आसार हैं।

सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि समिति प्रत्येक उत्पाद और देश भर में उनके उत्पाद एवं वैट दरों को देखा है। इसके बाद करीब 70 से 75 फीसदी वस्तुओं की दरें तय कर ली गई हैं। शेष पर अभी विचार किया जा रहा है और जीएसटी को अंतिम रूप देने से पहले उस पर भी निर्णय हो जाएगा। दरों का निर्धारण उत्पादों पर मौजूदा प्रभावी कर की दर के आधार पर एचएसएन कोड के तहत किया गया है।

सोने पर चार फीसदी 

दरों पर उप-समिति की रिपोर्ट केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के अध्यक्ष वाले परिषद के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी। इस समिति में राज्यों के वित्त मंत्री भी बतौर सदस्य शामिल हैं।  उदाहरण के तौर पर सोने की दर को परिषद की बैठक में 4 फीसदी पर रखे जाने पर जोर दिया जा सकता है। फिलहाल इस पर 1 फीसदी मूल्य वर्धित कर लगता है।

मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने भी जीएसटी पर अपनी रिपोर्ट में सोने पर 4 फीसदी कर लगाने की बात कही थी। जीएसटी में व्यापक तौर पर कर की चार दरें होंगी- 5, 12, 18 और 18 फीसदी। इसके अलावा शून्य कर वाली वस्तुएं तथा छूट वाली वस्तुएं भी शामिल होंगी और सिगरेट, लक्जरी कारों तथा वातित शीतलपेय जैसे अहितकर उत्पादों पर अधिभार भी लगाया जाएगा।

कारों के मामले में मौजूदा वर्गीकरण उसमें इस्तेमाल होने वाले ईंधन के आधार पर किया गया। इलेक्ट्रिक कारों पर कर दर है, वहीं डीजल कारों पर कर की दर ज्यादा है। इसके अलावा, इंजन क्षमता के आधार पर भी कर में अंतर होता है। ऐसे में एक अधिकारी का कहना है कि सभी कारों को 28 फीसदी के दायरे में लाना कठिन होगा।

कॉस्मेटिक्स पर 28 फीसदी

साबुन, कॉस्मेटिक्स आदि पर अभी 24-25 फीसदी कर लगता है लेकिन जीएसटी के तहत करीब कर स्लैब 28 फीसदी के दायरे में ऐसी वस्तुएं आ सकती हैं। नारियल तेल भी ऐसा ही उत्पाद है जिस पर चर्चा चल रही है, क्योंकि इसे हेयर ऑयल और खाद्य तेल दोनों माना जाता है। हेयर ऑयल को कॉस्मैटिक्स के तहत माना जाता है और उस पर 28 फीसदी कर लगेगा जबकि खाद्य तेल पर 5 या 12 फीसदी कर लग सकता है।

एक अधिकारी ने कहा कि नारियल तेल पर 6 फीसदी वैट लगता है और कुछ राज्यों ने वैट में छूट भी दी है। एक अधिकारी ने कहा कि साबुन को भी 28 फीसदी के दायरे में रखा जा सकता है। पीडब्ल्यूसी इंडिया के प्रतीक जैन ने कहा, ‘कुछ लोग उम्मीद कर रहे हैं कि कॉस्मेटिक तथा कंज्यूमर ड्यूरेबल्स आदि को 18 फीसदी के दायरे में रखा जाना चाहिए।’

सिनेमा के टिकट पर लगने वाले कर को भी सुलझाने की जरूरत है। अभी ऐसी टिकट पर सेवा कर नहीं लगता है और राज्य मनोरंजन कर लगाते हैं जो 12 से 40 फीसदी के बीच है। मोबाइल फोन पर भी वैट की दर 5 फीसदी से 15.5 फीसदी के बीच है।

इसी तरह न्यूजप्रिंट पर शून्य उत्पाद शुल्क है लेकिन कुछ राज्य इस पर वैट लगाते हैं। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि दूरसंचार को बुनियायदी ढांचा क्षेत्र के तहत वर्गीकृत किया गया है और इस पर 15 फीसदी कर लगता है। ऐसे में इसे 18 फीसदी के दायरे में रखा जाए या 12 फीसदी के दायरे में।

वित्त मंत्री को मीडिया, शिक्षा एवं स्वास्थ क्षेत्र से शून्य कर दायरे में रखे के लिए कई प्रस्तुतीकरण दिए गए हैं। ईवाई के लीडर, अप्रत्यक्ष कर विपिन सप्रा ने कहा कि 1 जुलाई से जीएसटी को लागू करना है ऐसे में उद्योग चाहते हैं कि जीएसटी दरों की घोषणा जल्द से जल्द की जाए, ताकि उन्हें इसके हिसाब से चीजों को दुरुस्त करने का समय मिल सके।