नरेगा मजदूर का बेटा आईआईटी मुम्बई से करेगा इंजीनियरिंग की पढ़ाई

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जेईई-एडवांस्ड में एसटी वर्ग में ऑल इंडिया रैंक 4 व सामान्य श्रेणी में 347वीं रैंक प्राप्त की

कोटा। इरादे मजबूत हों और संकल्प में दृढ़ता हो तो परिस्थितियां कुछ नहीं बिगाड़ सकती। यही नहीं परिस्थितियां बदल जाती हैं, बदलाव की कुछ ऐसी कहानी लिखने के दौर से गुजर रहा है दौसा जिले के महुआ तहसील, जोटवाड़ा पोस्ट के नागलमीणा गांव का एक परिवार। जहां माता-पिता नरेगा में मजदूर हैं, खेती करते हैं और बच्चों को पढ़ा रहे हैं।

इस मेहनत के परिणाम अच्छे भी आ रहे हैं। हाल ही में जारी जेईई-एडवांस्ड-2018 के परिणामों में परिवार के सबसे छोटे बेटे व एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के छात्र सुनील कुमार मीणा ने 245 अंक प्राप्त कर एसटी वर्ग में अखिल भारतीय स्तर पर चौथी तथा सामान्य श्रेणी में 347वीं रैंक प्राप्त की है। सुनील जटवाड़ा पोस्ट पंचायत का पहला छात्र है जो आईआईटी में प्रवेश लेगा।

परिवार के मुखिया व पिता शिवराम मीणा ने बताया कि जमीन है लेकिन खेती बरसात पर निर्भर हैं। हर साल बच्चों की पढ़ाई के लिए एक से दो लाख तक कर्ज लेना पड़ता है। चार बच्चे, एक बेटी व तीन बेटे हैं। बेटी व एक बेटा बीटेक कर रहे हैं तथा एक बेटा बीएससी कर रहा है। तीनों बाहर रहते हैं।

जब सुनील को कोटा भेजने की नौबत आई तो पैसा पास नहीं था, तब जमीन गिरवी रखने की नौबत आ गई थी, लेकिन फिर एलन की तरफ से फीस में 85 प्रतिशत की रियायत दी तो मेरी हिम्मत बढ़ गई, फिर भी कोटा में रहने-खाने व अन्य खर्चे देने पड़ते थे। परिवार का खर्च चलाने के लिए खेती के साथ-साथ बच्चों की मां सागर देवी और मैं दोनों नरेगा में मजदूरी भी करते हैं। बच्चों की दादी रमको देवी, जिनका गत वर्ष ही निधन हुआ है, वे भी नरेगा में मजदूर थीं।

कच्चा मकान, पक्के इरादे
एसटी वर्ग में चौथी रैंक लाने वाले सुनील ने बताया कि नागल मीणा गांव 150 घरों की बस्ती है और करीब 600 की आबादी है। आज भी चूल्हे पर रोटी पकती है। पढ़ाई के दौरान जब समय मिलता है तो पापा के साथ खेत पर जाकर हाथ बंटाता हूं। मकान आज भी आधा कच्चा है। प्रारंभिक पढ़ाई गांव में ही आठवीं तक के सरकारी स्कूल से की। इसके बाद पांच किलोमीटर दूर एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ा। दसवीं में 94.50 तथा 12वीं में 97.40 प्रतिशत अंक प्राप्त किए।

फिजिक्स, केमेस्ट्री व मैथ्स में पूरे अंक थे। 12वीं के साथ परीक्षा दी थी लेकिन रैंक पीछे आने के कारण आईआईटी नहीं मिल सकी, फिर स्कूल के प्रिंसीपल सर ने कोटा जाने की सलाह दी। कोटा आ गया, यहां मेरी प्रतिभा और आर्थिक स्थिति को देखते हुए एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट ने फीस में 85 प्रतिशत रियायत दी।

कोटा में मुझे सबकुछ मिला, यहां के टीचर्स हमेशा मदद को तैयार रहते थे, स्टडी मटीरियल बहुत अच्छा दिया गया, श्रेष्ठ विद्यार्थियों के साथ पढ़ने का मौका मिला तो मेरी प्रतिभा निखरती चली गई। अब मुझे लगा कि यदि कोटा नहीं जाता तो शायद आईआईटी में प्रवेश नहीं ले पाता, किसी छोटे इंजीनियरिंग कॉलेज में ही प्रवेश ले पाता।

आईएएस में जाने का इच्छुक
सुनील ने बताया कि अब आगे कम्प्यूटर साइंस या मैकेनिकल की पढ़ाई करना चाहता हूं। आईआईटी मुम्बई या दिल्ली में एडमिशन लूंगा। आईआईटी के बाद प्रशासनिक सेवा में जाने की इच्छा है, आईएएस की परीक्षा दूंगा। मैं चाहता हूं कि मेरे परिजनों ने जिन परिस्थितियों में हमें पढ़ाया, ऐसे विद्यार्थियों की मदद हो। शिक्षा के क्षेत्र में कुछ अलग करना चाहता हूं।

गुदड़ी के लाल
ऐसे गुदड़ी के लाल ही देश और समाज को आगे ले जा रहे हैं। नए आयाम स्थापित कर रहे हैं, संकल्प की नई कहानियां लिख रहे हैं। इनकी मदद करके एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट स्वयं को गौरवान्वित महसूस करता है। – नवीन माहेश्वरी, निदेशक, एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट, कोटा