क्विंगदाओ। भारत और चीन के बीच शनिवार को दो ऐतिहासिक समझौते हुए। चीन बाढ़ के सीजन में ब्रह्मपुत्र नदी का हाइड्रोलॉजिकल डाटा बांटने पर राजी हो गया है। इसके अलावा चीन गैर बासमती चावल आयात करने को भी तैयार हो गया है। दोनों समझौतों से भारत को बड़ा फायदा पहुंचेगा।
ब्रह्मपुत्र में पानी का फ्लो बढ़ने से भारत के कई इलाकों में बाढ आ जाती है। समय पर डाटा शेयर हो जाएगा तो नुकसान को कम करने के लिए पहले से योजना बनाने में मदद मिलेगी। वहीं गैर बासमति का निर्यात करने से भारत और चीन के बीच व्यापार घाटे को कम करने में मदद मिलेगी।
जिनपिंग से मिले मोदी
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच विस्तृत बातचीत के बाद इन समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार दोपहर को चीनी पहुंच गए थे। शंघाई सहयोग संगठन की बैठक चीन के क्विंगदाओ (Qingdao) शहर में आयोजित हो रही है।
पिछले साल डाटा शेयर करना किया था बंद
बीते साल डोकलाम पर 73 दिन तक चले विवाद के बाद चीनी ने ब्रह्मपुत्र नदी के जलस्तर से जुड़ा डाटा शेयर करने से मना कर दिया था। अब चीन इस पर राजी हो गया है। समझौते के तहत चीन 15 मई से 15 अक्टूबर तक हर साल नदी के जल से जुड़े आंकड़े भारत को मुहैया कराएगा।
अगर बाढ़ के समय से इतर भी नदी का जलस्तर समझौते के तहत तय हुए पानी से ज्यादा हो जाता है तो चीन इसकी जानकारी भारत को देगा। गौरतलब है कि ब्रह्मपुत्र चीन से होकर भारत में आती है। इसलिए चीन के पास उसमें पानी के स्तर और बहाव की सटीक जानकारी होती है।
दूसरे समझौते के तहत चीन भारत से गैर बासमती चावल का इंपोर्ट करेगा। चीन में चावल की काफी डिमांड है। भारत के किसानों के लिए यह बड़ी खबर है क्योंकि अभी तक चीन केवल भारत का बासमती चावल ही खरीदता था। भारत में चावल का प्रोडक्शन बीते तीन सालों से लगातार बढ़ रहा है। इस फैसले से भारत और चीन के बीच व्यापार घाटे को कम करने में मदद मिलेगी।