नई दिल्ली। केंद्र ने सरकारी तेल कंपनियों से कहा है कि वे डीजल और पेट्रोल की खुदरा कीमतों को न बढ़ाएं। सूत्रों के मुताबिक सरकार ने तेल कंपनियों से यह भी कहा है कि ग्लोबल क्रूड ऑइल की कीमतों में हाल के समय में इजाफा हो रहा है और तेल कंपनियां इस नुकसान का कुछ हिस्सा उठाने को तैयार रहें।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन को डीजल और पेट्रोल की बिक्री में प्रति लीटर 1 रुपये का नुकसान उठाना होगा। इंडियल ऑइन के शेयर मंगलवार को 7.6 प्रतिशत तक गिरे थे, जो नवंबर 2016 के बाद एक दिन के कारोबार में सबसे बड़ी गिरावट है। हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड के शेयरों में भी 8.3 प्रतिशत की गिरावट देखी गई।
सरकार इस साल कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की वजह से पेट्रोल-डीजल की कीमतों को काबू में रखना चाहती है। क्रूड ऑइल की सालाना जरूरतों का 80 प्रतिशत आयात करने वाला भारत चाहता है कि क्रूड की कीमत 50 डॉलर प्रति बैरल के आसपास रहे, ताकि अर्थव्यवस्था बेहतर हो सके।
उम्मीद के मुताबिक जीएसटी कलेक्शन नहीं होने की वजह से इसकी संभावना बहुत कम है कि सरकार पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कम कर आम लोगों को राहत दे सके। अगर कच्चे तेल की कीमतों में आगे चलकर और उछाल आने की सूरत में तेल मंत्रालय को सब्सिडी पेमेंट के लिए तैयार रहने को कहा गया है।
हालांकि हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड का कहना है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों को नहीं बढ़ाने से जुड़े सरकार के किसी निर्देश की उसे जानकारी नहीं है। नई दिल्ली में इंटरनैशनल एनर्जी फोरम की बैठक से इतर HPCL के चेयरमैन एम. के. सुराना ने यह बात कही।
2014 में सत्ता में आने के बाद से मोदी सरकार कच्चे तेल की कीमतों में सबसे बड़ी गिरावट के दौर को भुना चुकी है। 2016 में कच्चे तेल की कीमत 27.1 डॉलर प्रति बैरल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुकी थी लेकिन अब इसमें तेजी से रिकवरी हो रही है। फिलहाल अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमत 70 रुपये प्रति डॉलर है।
कच्चे तेल की कीमतों में फिर से इजाफे का दौर ऐसे वक्त शुरू हुआ है जब मोदी सरकार 2019 के आम चुनावों की तैयारी में है। जाहिर है तेल की बढ़ती कीमत सरकार के लिए चिंता की बात है।