नई दिल्ली।आरक्षण के विरोध में मंगलवार को भारत बंद बुलाया गया है। हालांकि, इस मामले में किसी बड़े संगठन का नाम सामने नहीं आ रहा है। बस सोशल मीडिया पर अपील की जा रही है। उधर, गृह मंत्रालय ने राज्यों को सुरक्षा बढ़ाने की एडवाइजरी जारी की है।
इसके तहत किसी भी तरह की हिंसा से निपटने के लिए सख्त एक्शन लेने की बात कही गई है। बता दें कि एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के बाद दलित संगठनों ने 2 अप्रैल को भारत बंद बुलाया था। इस दौरान करीब 10 राज्यों में हिंसा हुई थी। इसमें 15 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद से सोशल मीडिया पर 10 अप्रैल को आरक्षण के खिलाफ बंद की खबरें आने लगी थीं।
सामान्य और पिछड़ों ने बुलाया बंद
– 10 अप्रैल को जातिगत आरक्षण के खिलाफ सामान्य और ओबीसी वर्ग ने बंद की मांग की है। इसको लेकर सोशल मीडिया पर मैसेज चल रहे हैं। जिनमें आरक्षण के खिलाफ बंद को समर्थन देने और इसमें शामिल होने के लिए कहा जा रहा है। हालांकि, किसी भी राजनीतिक या गैर-राजनीतिक संगठन ने इसे समर्थन देने का एलान नहीं किया है।
सोशल मीडिया पर निगरानी रखने का आदेश
– केंद्र सरकार ने राज्यों से सोशल मीडिया पर विशेष निगरानी रखने के आदेश दिए हैं। 2 अप्रैल को हुई हिंसा का बड़ा कारण सोशल मीडिया पर फैली गलत जानकारी बताई जा रही है। ऐसे में सरकार कानून व्यवस्था को लेकर कोई भी कमी नहीं रखना चाहती।
मध्य प्रदेश में अलर्ट
– राज्य के डीजीपी ऋृषि कमार ने कहा कि प्रशासन किसी भी स्थिति को संभालने के लिए तैयार है। उन्होंने लोगों से शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कहा। बता दें कि भारत बंद का सबसे ज्यादा असर मध्य प्रदेश में देखने को मिला था। यहां के ग्वालियर, मुरैना, भिंड समेत कई जिलों में हालत काफी खराब हो गए थे। राज्य में हिंसा से कुल 7 मौते हुईं थीं। हिंसा के बाद इन जगहों पर इंटरनेट भी बंद कर दिया गया था।
यूपी में अलर्ट
– उत्तर प्रदेश के कई जिलों में पुलिस और प्रशासन ने अलर्ट जारी कर धारा 144 लागू कर दी है। एजेंसी के मुताबिक, हापुड़ में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है।
जयपुर में धारा 144 लागू
– जयपुर कमिश्नर संजय अग्रवाल के मुताबिक, बंद के आसार को देखते हुए जयपुर में धारा 144 लागू कर दी गई है। यहां किसी भी धरना या प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ 2 अप्रैल को हुआ था आंदोलन
– एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर दलित संगठनों ने भारत बंद का बुलाया था। इसका असर सबसे ज्यादा 12 राज्यों में देखने को मिला था। हिंसा में 15 लोगों की मौत हुई थी। मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा 7, यूपी और बिहार में तीन-तीन, वहीं राजस्थान में 2 की मौत हुईं।
एक्ट में कोर्ट ने किया था बदलाव
– बता दें कि कोर्ट ने एक्ट में बदलाव करते हुए कहा था कि एससी/एसटी एक्ट में तत्काल गिरफ्तारी न की जाए। इस एक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में अग्रिम जमानत मिले। पुलिस को 7 दिन में जांच करनी चाहिए। सरकारी अधिकारी की गिरफ्तारी अपॉइंटिंग अथॉरिटी की मंजूरी के बिना नहीं की जा सकती।
– सुप्रीम कोेर्ट ने केंद्र सरकार की रिव्यू पिटीशन पर मंगलवार को खुली अदालत में सुनवाई की। जहां कोर्ट ने अपने फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। सुनवाई में बेंच ने कहा- “हमने एससी-एसटी एक्ट के किसी भी प्रावधान को कमजोर नहीं किया है। लेकिन, इस एक्ट का इस्तेमाल बेगुनाहों को डराने के लिए नहीं किया जा सकता।”