नई दिल्ली। करीब 13 हजार करोड़ रुपए के पीएनबी घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नीरव मोदी के करीबी और फायरस्टार ग्रुप के वाइस प्रेसिडेंट (फाइनेंस) श्याम सुंदर वधवा को गिरफ्तार किया है। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत यह कार्रवाई की है। पीएनबी घोटाले में हीरा कारोबारी और उनके मामा मेहुल चौकसी मुख्य आरोपी हैं। नीरव मोदी फायरस्टार ग्रुप का प्रमोटर है।
पीएनबी घोटाले की जांच सीबीआई और ईडी जैसी जांच एजेंसियां कर रही हैं। इस साल 31 जनवरी और 15 फरवरी को सीबीआई और ईडी ने नीरव मोदी, उनकी कंपनियों और हीरा कारोबारी मेहुल चौकसी के खिलाफ पीएनबी घोटाले के सिलसिले में अलग- अलग मामले दर्ज किए थे। सीबीआई ने पीएनबी के पूर्व डीजीएम गोकुलनाथ शेट्टी सहित कुल 19 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
इससे पहले, मंगलवार को पीएनबी ने विदेश भाग गए नीरव मोदी को लोन जारी करने की प्रक्रिया से जुड़े दस्तावेज दिखाने से इनकार कर दिया था। मुंबई आधारित आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली के एक प्रश्न के जवाब में पीएनबी ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम की धारा8(1)( एच) का हवाला देते हुए सूचना प्रकट करने से इनकार किया था।
7638 करोड़ रुपए के सामान जब्त और अटैच हुए
ईडी ने बीते शनिवार को पीएनबी फ्रॉड मामले में नीरव मोदी, मेहुल चौकसीर और अन्य के खिलाफ पीएमएलए के तहत केस दर्ज किया था। जांच के दौरान एजेंसी ने देशभर में 251 से ज्यादा जगहों पर छापेमारी की। इसमें हीरा, सोना, मोती और कीमती पत्थर जब्त किए। इसके अलावा नीरव मोदी ग्रुप और मेहुल चौकसी ग्रुप की अचल संपत्तियां भी अस्थायी रूप से अटैच की जा चुकी हैं। सीज और अटैच किए गए सामानों की कुल वैल्यू करीब 7638 करोड़ रुपए है।
22 मार्च को भी सीबीआई-ईडी ने किया था सर्च
सीबीआई और ईडी की एक ज्वाइंट टीम ने इस मामले में मुंबई के समुद्र महल स्थित नीरव मोदी के आवासीय ठिकानों पर 22 मार्च को तलाशी अभियान चलाया था। यह तलाशी अभियान तीन दिन तक चला। इसमें 15 करोड़ रुपए की ज्वैलरी सीज की गई है। इसके अलावा 1.40 करोड़ रुपए की महंगी वॉचेज और करीब 10 करोड़ रुपए की पेंटिंग्स भी सीज की गई।
LoU के जरिए की धोखाधड़ी
हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उनके मामा मेहुल चौकसी ने भारत के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक में धोखाधड़ी वाले लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) के जरिए 12,968 करोड़ रुपए का घोटाला किया। पीएनबी के मुंबई स्थित ब्रैडी हाउस ब्रान्च के कुछ अधिकारियों के साथ मिलकर इसे अंजाम दिया। पीएनबी की इस ब्रांच से मार्च 2011 से नीरव की कंपनियों को गलत तरीके से एलओयू जारी किए ग्ए थे। सीबीआई और ईडी सहित कई एजेंसियां देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले की जांच में जुटी हैं।
1590 LoU जारी हुए थे
पीएनबी से नीरव मोदी, मेहुल चौकसी और उनके एसोसिएट्स को 1,590 एलओयू जारी हुए थे। नीरम मोदी की कंपनियों, उनके संबंधिमयों और नीरव मोदी ग्रुप को 1213 एलओयू जारी किए। वहीं, मेहुल चौकसी, उसके संबंधियों और गीतांजलि ग्रुप को 377 एलओयू जारी किए थे। वित्त मंत्रालय ने संसद को बताया कि प्रत्येक एलओयू की एवज में कंपनियों की ओर से रिपेमेंट अभी तक निश्चित नहीं कहा जा सकता है क्योंकि इस मामले की जांच जारी है। बता दें, इस घोटाले के बाद रिजर्व बैंक ने बैंकों को एलओयू और लेटर ऑफ कम्फर्ट जारी करने से रोक दिया है।
कैसे सामने आया PNB फ्रॉड?
– पंजाब नेशनल बैंक ने स्टॉक एक्सचेंज बीएसई को बताया कि उसने 1.8 अरब डॉलर (करीब 11,356 करोड़ रुपए) का संदिग्ध ट्रांजैक्शन पकड़ा है।
– इस घोटाले की शुरुआत 2011 से हुई। 7 साल में हजारों करोड़ की रकम फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग्स (LoUs) के जरिए विदेशी अकाउंट्स में ट्रांसफर की गई।
– बैंक के अनुसार, ऐसा लगता है कि इन ट्रांजैक्शन के आधार पर विदेश में कुछ बैंकों ने उन्हें (चुनिंदा अकाउंट होल्डर्स को) कर्ज दिया है। ये अकाउंट्स कितने थे, कितने लोगों को फायदा हुआ? इस बारे में अभी तक खुलासा नहीं हुआ है।
– इस पूरे फ्रॉड को लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) के जरिए अंजाम दिया गया। यह एक तरह की गारंटी होती है, जिसके आधार पर दूसरे बैंक अकाउंटहोल्डर को पैसा मुहैया करा देते हैं। अब यदि अकाउंटहोल्डर डिफॉल्ट कर जाता है तो एलओयू मुहैया कराने वाले बैंक की यह जिम्मेदारी होती है कि वह संबंधित बैंक को बकाये का भुगतान करे।