मुंबई।अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्यूनिकेशन (आरकॉम) अब अपनी मर्जी से संपत्तियां बेच या किसी को हस्तांतरित (ट्रांसफर) नहीं कर पाएगी। एक आर्बिट्रेशन कोर्ट ने कहा है कि आरकॉम को संपत्तियां बेचने या ट्रांसफर करने से पहले अनुमति लेनी होगी। कोर्ट 9 जून को अगली सुनवाई करेगा।
कोर्ट की ओर से लगी इस रोक से अनिल अंबानी की टेलिकॉम कंपनी के उन प्रयासों को झटका लगा है जिनके तहत उसने मार्च महीने तक बैंकों के कर्ज चुकाने का खाका तैयार किया था।
5 मार्च को आर्बिट्रेशन कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में कहा, ‘हम दावेदार (आरकॉम) और इससे संबद्ध कंपनियों को आर्बिट्रल ट्राइब्यूनल की विशेष अनुमति/छूट के बिना किसी भी संपत्ति के हस्तांतरण, अलगाव, भार या निपटान से रोकने का निर्देश देते हैं।’
आदेश में कहा गया है, ‘प्रतिवादी (एरिक्सन) ने एक तार्किक बात कही है और ट्राइब्यूनल की राय है कि अभी कोई राहत देने से मना करने पर इसे कभी भरपाई नहीं हो पानेवाला नुकसान हो सकता है।’ जस्टिस स्वतंत्र कुमार, जस्टिस वीएस सिरपुरकर और जस्टिस एसबी सिन्हा ने यह आदेश दिया है। ये सभी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज हैं।
आरकॉम के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी इस आदेश के खिलाफ जल्दी ही हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी। प्रवक्ता ने कहा, ‘हम मामले जो समझ रहे हैं और इस निर्देश के खिलाफ हम माननीय उच्च न्यायालय का रुख करेंगे।’
दरअसल, आर्बिट्रेशन कोर्ट का यह निर्देश उस मामले में आया है जिसके तहत स्वीडन की कंपनी एरिक्सन आरकॉम से अपना 1,012 करोड़ रुपये का बकाया वसूली की कोशिश कर रही है।
एरिक्सन का कहना है कि अगर आरकॉम को अपनी संपत्ति बेचने या ट्रांसफर करने की अनुमति मिल जाती है तो वह शेल कंपनी में परिवर्तित हो जाएगी और एरिक्सन उससे अपना बकाया कभी नहीं वसूल पाएगा।