नई दिल्ली। मोदी सरकार ने यूपीए के कार्यकाल में शुरू हुई राजीव आवास योजना की जांच करने का निर्णय लिया है। इस योजना के तहत बने व बन रहे 1 लाख से अधिक घरों की क्वालिटी की जांच की जाएगी। प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए बनी सेंट्रल सेंक्शनिंग एंड मॉनिटरिंग कमेटी (सीएसएमसी) ने उन राज्यों को इसका पालन करने को कहा है, जहां राजीव आवास योजना के प्रोजेक्ट्स पूरे हो चुके हैं या प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं।
क्या है राजीव आवास योजना ?
यूपीए सरकार ने पिछले कार्यकाल में स्लम फ्री इंडिया मिशन शुरू किया था, जिसका मकसद साल 2022 तक देश को स्लम फ्री बनाना था। इस मिशन के तहत राजीव आवास योजना शुरू की गई थी। मोदी सरकार बनने के बाद इस योजना को प्रधानमंत्री आवास योजना के साथ मर्ज कर दिया गया
क्या है प्रोग्रेस रिपोर्ट ?
मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स की ताजा रिपोर्ट बताती है कि राजीव आवास योजना के तहत राज्यों में 162 प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं। इनमें 1 लाख 17 हजार 707 घर बनाने की मंजूरी दी गई। इसमें से 46611 घर बन चुके हैं। लगभग 26234 घरों में लोग रहने भी लगे हैं। 44225 घर बन रहे हैं। 26871 घर बनाने का काम अभी शुरू होना है।
क्यों दिए जांच के आदेश ?
प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए गठित सेंट्रल सेंक्शनिंग एंड मॉनिटरिंग कमेटी (सीएसएमसी) की 30 वीं मीटिंग में पाया गया कि कई राज्यों और यूटी में अभी तक थर्ड पार्टी क्वालिटी एंड मॉनिटरिंग एजेंसी नियुक्त नहीं की गई है।
इसलिए सेंट्रल कमेटी ने राज्यों से कहा कि वे जल्द से जल्द अपने राज्य में एजेंसी नियुक्त कर लें। जो न केवल प्रधानमंत्री आवास योजना के प्रोजेक्ट्स की मॉनिटरिंग के साथ-साथ क्वालिटी जांच करें, बल्कि इस एजेंसी से राजीव आवास योजना के प्रोजेक्ट्स की क्वालिटी टेस्ट और मॉनिटरिंग भी कराई जाए।
दो करोड़ घरों का टारगेट
प्रधानमंत्री आवास योजना (अर्बन) के तहत देश भर में दो करोड़ घर बनाने का लक्ष्य है। यह घर 2022 तक बनाए जाने हैं। मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स को यह जिम्मेवारी सौंपी गई है।
इसी योजना में राजीव आवास योजना को भी शामिल कर लिया गया है। मिनिस्ट्री की रिपोर्ट बताती है कि पीएमएवाई के तहत लगभग 3 लाख 19 हजार घर बन चुके हैं, जिसमें राजीव आवास योजना के तहत बने घर भी शामिल हैं।