बेंगलुरु। पंजाब नैशनल बैंक में घोटाला उजागर होने के बाद जो बातें सामने आ रही हैं उनमें सबसे चौंकानेवाली बात यह है कि सालों से हो रहे विभिन्न फर्जीवाड़ों में सरकारी बैंकों के अधिकारी सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के आंकड़ों की गहन छानबीन की है, जिनमें विभिन्न राज्यों में स्टाफ की मिलीभगत से हुई धोखाधड़ी के मामलों और इनसे हुए नुकसान की रकम का रेकॉर्ड है।
अप्रैल 2013 से जून 2016 के आंकड़े बताते हैं कि बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से एक लाख रुपये या इससे ज्यादा रुपये की धोखाधड़ी के कुल 1,232 मामलों में 2,450 करोड़ रुपये का चूना लगा है। आरबीआई अभी तिमाही आधार पर राज्यवार आंकड़ा तैयार कर रहा है। इनमें कुल मामलों का 49% यानी 609 मामले दक्षिणी राज्यों के हैं।
हालांकि, ऐसे अपराध में बैंकों को हुए नुकसान की कुल रकम का महज 19% यानी 462 करोड़ रुपये ही इनके हिस्से आए हैं। तुलनात्मक रूप से राजस्थान में कर्मचारियों की मिलीभगत से हुए बैंकिंग फर्जीवाड़े का प्रतिशत तो सिर्फ 3 (38 मामले) है, लेकिन यहां 44% रकम यानी 1,096 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में बैंक कर्मचारियों के फर्जीवाड़े में शामिल होने के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं जबकि राजस्थान, चंडीगढ़, दिल्ली और पश्चिम बंगाल में बैंकों को सबसे ज्यादा (कुल नुकसान का 70%) चूना लगा है।