नई दिल्ली। मसाला किसान अपने उत्पादों की बिक्री के लिए खुद ही भाव तय कर सकेंगे, साथ ही ई-स्पाइस बाजार पर पंजीकृत खरीददार भी खरीद करने के लिए अपनी बोली लगा सकेंगे।
मसाला बोर्ड द्वारा शुरू की गई ई-स्पाइस बाजार को आधिकारिक तौर पर आरंभ करते हुए केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि इसके तहत देशभर में उगाये जाने वाले सभी वाणिज्यिक मसालों को शामिल करके, मसालों के किसानों को विश्व बाजार में पहचान दिलाई जायेगी। इस अवसर पर आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू भी उपस्थित थे।
मसाला बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. ए जयतिलक ने कहा कि आंध्रप्रदेश के प्रकाशम और गुंटूर जिले और तेलंगाना के वारंगल और खम्मम में दो साल पहले शुरू की गई इस परियोजना में अब तक 53,000 मिर्च और हल्दी किसान शामिल हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि इस परियोजना को अब डिजिटल स्वरुप प्रदान किया गया है और इसके लिए एक पोर्टल बनाया गया है। यह परियोजना इन दो राज्यों के 517 गांव के 47 मंडलों में किसानों तक पहुंची है।
उन्होंने बताया कि इस परियोजना के तहत सभी मसालों के किसानों को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए अलग-अलग ग्लोबल लोकेशन नंबर (जीएलएन) आवंटित किया गया है। इस पोर्टल में किसान और उनके खेत, फसल तथा कीटनाशकों और रसायनों के उपयोग के साथ-साथ फसल की कटाई के बाद उत्पादन की भी जानकारी है। किसान और किसानों के खेतों का सर्वेक्षण फील्ड को-आर्डिनेटर के द्वारा किया जाता है।
उन्होंने बताया कि निर्यातकों को खरीद के लिए आवश्यक गुणवत्ता और विविधता के आधार पर खरीदारों को भी इस पोर्टल पर सूचीबद्व किया गया है। ई-स्पाइस बाजार मसालों के उत्पादन और निर्यात में शामिल सभी एजेंसियों को एक प्लेटफार्म उपलब्ध करवाता है। इसके साथ ही किसानों को मसाला शोध संस्थानों के वैज्ञानिकों की सलाह से भी अवगत कराता है।
इस परियोजना में किसान समूहों और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन पर जोर दिया गया है। एफपीओ का गठन नाबार्ड और राज्यों के बागवानी विभागों द्वारा किया जा रहा है।