नई दिल्ली । रिफंड समय से न मिलने की एक्सपोर्टर्स की शिकायतों के बीच सरकार ने कहा है कि 70 फीसदी IGST रिफंड क्लेम में गलती की वजह से अटका है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम्स (सीबीईसी) ने एक्सपोर्टर्स से कहा है कि वे अगले महीने के फाइनल रिटर्न की डिटेल में सुधार कर लें जिससे कि डिपार्टमेंट मार्च तक रिफंड क्लेम प्रॉसेस कर सके।
सीबीईसी ने अक्टूबर से चार महीने में एक्सपोर्ट को 4000 करोड़ रुपए के रिफंड को मंजूरी दी है। अभी भी करीब 10 हजार करोड़ रुपए का क्लेम एक्सपोर्टर्स की ओर से जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) को दी गई जानकारी में अंतर आने की वजह से अटका है।
यह गड़बडी जीएसटीएन पर जीएसटीआर 1 फाइलिंग या टेबल 6ए या जीएसटीआर 3बी और कस्टम के फाइल किए गए शॉपिंग बिल की जानकारी के साथ मिलान करने पर सामने आ रही है।
अपर्याप्त जानकारी ने अटकाया रिफंड
सीबीईसी ने प्रिंसिपल कमीशनर्स के साथ एक बातचीत में कहा है कि डाटा एनॉलसिस के अनुसार, जीएसटीआर 1 या टेबल 6ए का केवल करीब 32 फीसदी रिकॉर्ड ही जीएसटीएन से कस्टम्स को ट्रांसमिट किया गया है। दूसरे शब्दों में कहें, तो करीब 70 फीसदी रिफंड क्लेम अपर्याप्त जानकारी या जीएसटी रिटर्न फाइलिंग के दौरान एक्सपोर्टर्स की तरफ से पूरा ब्योरा नहीं देने की वजह से अटका है।
एक्सपोर्टर्स को भेजा ई-मेल
अक्टूबर 2017 के बाद के क्लेम का डाटा एनॉलसिस के अनुसार, रिटर्न फाइलिंग गलतियां कम हो रही हैं। फिर भी बड़ी संख्या में एक्सपोर्टर्स अपूर्ण जीएसटीआर 1 या टेबल 6ए फाइल कर रहे हैं, जिनमें शॉपिंग बिल नंबर या पोर्ट की तारीख नहीं होती है।
सीबीईसी का कहना है कि ये रिकॉर्ड जीएसटीएन की ओर से कस्टम को फॉरवर्ड या प्रॉसेस नहीं किए गए हैं। एक्सपोर्टर्स को ई-मेल भेजकर जीएसटीआर 1 के अमेंडमेंट प्रॉसेस के जरिए रिकॉर्ड को करेक्ट करने के लिए कहा गया है। इसका मतलब यह है कि संबंधित महीने के जीएसटीआर 1 के टेबल 9 में जानकारी सही करनी होगी।
अक्टूबर 2017 से शुरू है IGST रिफंड
सीबीईसी ने अक्टूबर 2017 से एक्सपोर्ट को सामानों की एवज में चुकाए गए इंटीग्रेटेड जीएसटी (IGST) का रिफंड भेजना शुरू कर दिया है। यह रिफंड क्लेम टेबल 6ए भरकर शॉपिंग बिल के आधार पर किया जाता है। वहीं, ऐसे बिजनेस जिनकी जीरो रेटेड सप्लई है या जो इनपुट क्रेडिट चाहते हैं उन्हें फॉर्म आरएफडी-01ए भरना होता है।
GST से ज्यादा क्लेम का मामला
जीएसटीएन डाटा एनॉलसिस के बाद यह जानकारी सामने आई है कि ज्यादा केस हैं, जिनमें एक्सपोर्टर्स की ओर से रिफंड क्लेम उसके द्वारा चुकाए गए जीएसटी से ज्यादा है। साथ ही साथ एक्सपोर्टर्स की ओर से फाइल की गई जानकारी जीएसटीएन से कस्टमम्स को नहीं भेजी गई है। इन मामलों में भी एक्सपोर्टर्स को भी ई-मेल भेजकर अपने रिकॉर्ड करेक्ट करने के लिए कहा गया है।