कोटा। स्वयं सहायता समूह-बैंक लिंकेज कार्यक्रम में प्रगति की समीक्षा के लिए नाबार्ड की ओर से संभाग स्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई । बैठक में कोटा, बारां, बूंदी, झालावाड़, सवाई माधोपुर एवं करौली जिलों के बैंकर्स, एनजीओ एवं राजीविका के अधिकारियों ने भाग लिया।
इस अवसर पर नाबार्ड के महाप्रबंधक सुनील कुमार ने वर्ष 2017-18 के दौरान नए एसएचजी के गठन एवं बैंकवार ऋण संयोजन लक्ष्यों के सापेक्ष जिलेवार हुई प्रगति की विस्तृत समीक्षा की।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार की ओर से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गरीबी उन्मूलन, महिला सशक्तिकरण एवं गांवों में सतत आजीविका के अवसर/उद्यम विकसित करने के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों के गठन एवं वित्तपोषण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।
उन्होंने बताया कि चालू वर्ष के दौरान राज्य में 18 हजार 167 नए एसएचजी का गठन एवं 24 हजार 307 समूहों का वित्त पोषण विभिन्न बैंकों द्वारा किया गया है। हालांकि इसमें अभी भी लगभग 43% पात्र एसएचजी बैंक ऋण से वंचित है।
उन्होंने नाबार्ड की एम.ई.डी.पी., एल.ई.डी.पी. एवं अन्य योजनाओं की जानकारी देते हुए सभी बैंकों और अन्य सहभागी संस्थाओं का आह्वान किया कि वे ग्रामीण गरीब महिलाओं की सूक्ष्म ऋण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आपसी समन्वय से कार्य करें।
इस अवसर पर एसबीआई कोटा के क्षेत्रीय प्रबंधक ज्ञानेंद्र जैन, बीआरकेजीबी के क्षेत्रीय प्रबंधक एचएल मीणा एवं कोटा जिला सहकारी बैंक के एमडी इन्दर सिंह ने एसएचजी एवं जेएलजी बैंक लिंकेज के क्षेत्र में संभाग में बैंकों द्वारा किए गए सफल प्रयासों के उद्धरण प्रस्तुत किए।
संभाग के सभी जिलों के अग्रणी जिला प्रबंधकों ने बताया कि वे अपने जिलों की वार्षिक साख योजनाओं में इस कार्यक्रम को महत्वपूर्ण गतिविधि के रूप में शामिल करते हुए नियमित तिमाही समीक्षा करते है एवं बैंक शाखा स्तर पर एसएचजी ऋण आवेदनों का त्वरित निस्तारण सुनिश्चित करते है।
कोटा एलडीएम केएस कुम्पावत ने समूहों को 25% उपभोक्ता ऋण एवं 75% आजीविका विकास ऋण के तौर पर स्वीकृत करने का सुझाव दिया। बैठक में नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक राजीव दायमा ने स्वयं सहायता समूहों के डिजीटाईजेशन की नाबार्ड की अभिनव पहल पर प्रेजेंटेशन दिया. बैठक में गैर सरकारी संगठनों प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए। देखिए वीडियो –