कोटा। झालावाड़ रोड स्थित इंस्टीट्यूट आॅफ इंजीनियर्स भवन में आयोजित सड़क विकास पर शनिवार को नेशनल सेमिनार का आयोजन किया गया। यहां विशेषज्ञ इंजीनियरों ने देश में प्लास्टिक वेस्ट एवं कोटा स्टोन की स्लरी का सड़क निर्माण में उपयोग पर मंथन किया गया। उन्होनें वेस्ट मैटेरियल गुणवत्तापूर्ण सड़कों के लिए उपयोगी बताया।
इंजीनियर्स भवन में आयोजित दो दिवसीय सेमिनार में आरटीयू के कुलपति प्रो. एनके कौशिक ने कहा कि सड़कों को देश में जीवन रेखा कहा जा सकता है। प्रो. कौशिक ने सड़क सुरक्षा पर जोर देते हुए कहा कि हादसों में गलत ड्राइविंग और ड्रिंकिंग तथा तेज गति से वाहन चलाना बड़ा कारण है, बारिश में सड़कों का खराब होना इंजीनियरिंग के लिए चुनौती है।
राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. सुधीर कल्ला ने कहा कि बेहतर इंजीनियरिंग की बदौलत सड़कों की गुणवत्ता में बड़ा सुधार हुआ है। सेमिनार संयोजक एवं पीडब्ल्यूडी के पूर्व एसई धीरेंद्र माथुर ने सड़कों को इतिहास काफी पुरानी सभ्यता से है, यह विकास का पैमाना है।
इंस्टीट्यूट अध्यक्ष सीकेएस परमार ने स्वागत भाषण में सड़कों के विकास पर सेमिनार के विभिन्न तकनीकी सत्रों की जानकारी दी। तकनीकी सत्रों में आरके श्रीवास्तव ने केबल स्टेट ब्रिज की तकनीक को मशीनरी, सिविल इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रानिक इंजीनियरिंग का उदाहरण बताते हुए कहा कि इसकी मॉनीटरिंग के लिए सर्वर स्विटजरलैंड में लगा है।
एएसआई कंपनी के पूर्व प्रबंध प्रेसीडेंट एससी अग्रवाल ने माइनिंग, इंजीनियरिंग एवं पर्यावरण पर व्याख्यान दिया।
पीडब्ल्यूडी के पूर्व चीफ इंजीनियर पदम कुमार जैन ने प्लास्टिक वेस्ट का सड़क निर्माण में उपयोग पर तकनीकी पत्र की व्याख्या की और इसे सड़क निर्माण में क्रांति की संज्ञा दी।
धीरेंद्र माथुर ने बूंदी में दोहरी सुरंग की जानकारी दी। अजय सिंह ने बिटुमिन व कंकरीट पर विश्लेषणात्मक रिपोर्ट पेश की। विशिष्ट अतिथि आशीष गुप्ता एवं आयोजन सचिव सुनील बोहरा ने भी विचार व्यक्त किए। मंच संचालन सचिव जसमत सिंह ने किया। परमार ने बताया कि रविवार को आरटीयू के ऑडिटोरियम में सुबह 11 बजे से तकनीकी सत्र होंगे।