जयपुर। सुप्रीम कोर्ट की ओर से पिछले साल नवंबर में बजरी खनन पर रोक के बाद प्रदेश में भवन निर्माण कार्य लगभग ठप हो गया है। रियल एस्टेट क्षेत्र में ही 500 से ज्यादा प्रोजेक्ट का काम रुकने से करीब पांच लाख निर्माण श्रमिकों के रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। डवलपर्स संगठन क्रेडाई राजस्थान ने राज्य सरकार से मदद की गुहार लगाई है।
डवलपर्स का कहना है कि जल्द ही इस समस्या का हल नहीं निकला तो, रियल एस्टेट क्षेत्र मुश्किल में फंस जाएगा। इन प्रोजेक्ट्स में बिल्डर्स का 25,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का लगा हुआ है। काम लेट होने से प्रोजेक्ट की लागत बढ़ेगी और रेरा की कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
क्रेडाई राजस्थान के अध्यक्ष अनुराग शर्मा ने बताया कि प्रदेश में बजरी खनन पर रोक के बाद 500 से अधिक रियल एस्टेट प्रोजेक्ट बंद होने से लाखों श्रमिकों की नौकरियों चली गई। बिल्डर्स मकान का पजेशन देने में देरी हो रही है।
कर्ज के ब्याज का बोझ बढ़ रहा है। क्रेडाई राजस्थान ने रेरा अधिकारियों से भी मांग की है कि जितने दिन तक बजरी खनन पर रोक रहती है, प्रोजेक्ट कंप्लीशन के लिए उतने दिनों का स्वतः एक्सटेंशन मिले।
किसानों को खनन के निजी पट्टों से राहत संभव
क्रेडाई के मुताबिक राज्य सरकार नदी किनारे जिन किसानों की जमीन हैं, उनको बजरी खनन के निजी पट्टे जारी करे तो बजरी की समस्या कम हो सकती है। इससे किसानों की आय भी बढ़ेगी और भवन निर्माण का काम तेज हो सकेगा। इसके अलावा बजरी खनन करने वालों की मिली भगत पर रोक लगेगी।
सस्ते मकानों के प्रोजेक्ट्स पर भी असर : बजरी खनन पर रोक से मुख्यमंत्री जन आवास योजना के तहत बन रहे लाखों मकानों का निर्माण प्रभावित हो रहा है। जबकि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी चाहती है कि गरीब व मध्यमवर्गीय परिवारों के घर का सपना पूरा हो।