नई दिल्ली। कैलेंडर वर्ष 2017 में निवेशकों ने इक्विटी म्युचुअल फंड में रिकॉर्ड 1.3 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया है। जानकारों के मुताबिक इसका कारण घटती ब्याज दरें और गोल्ड और रियल स्टेट का अच्छा प्रदर्शन न करना भी रहा। वर्ष 2017 में इक्विटी म्युचुअल फंड का आकार 7.7 लाख करोड़ रुपए हो गया, जबकि एक साल पहले यह आकार 4.7 लाख करोड़ रुपए था। यह जानकारी एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़ों में सामने आई है।
SIP से निवेश बढ़ा
वर्ष 2017 में सिस्टेमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (सिप) के माध्यम से निवेश बढ़ा है। एम्फी ने लगातार म्युचुअल फंड के प्रति पॉजिटिव माहौल भी बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। बजाज कैपिटल के सीईओ राहुल पारिख के अनुसार इक्विटी म्युचुअल फंड का लगातार अच्छा प्रदर्शन और कंपनियों की अर्निंग में सुधार की उम्मीद से निवेश बढ़ा है। इनके अनुसार नोटबंदी के बाद से बैंकों की घटती ब्याज दरों ने भी लोगों को म्युचुअल फंड में निवेश के लिए आकर्षित किया।
इक्विटी म्युचुअल फंड में रिकॉर्ड निवेश
एम्फी के डाटा के अनुसार वर्ष 2017 में टैक्स सेविंग म्युुचुअल फंड सहित इक्विटी म्युचुअल फंड में रिकॉर्ड 1.33 लाख करोड़ रुपए का निवेश हुआ। यह निवेश एक साल पहले करीब 51 हजार करोड़ रुपए का था। इस निवेश में सिप के माध्यम से काफी बड़ा हिस्सा आया है।
रिकॉर्ड निवेश में सिप की हिस्सेदारी 53 हजार करोड़ रुपए की रही। वर्ष 2017 में रह माह औसतन 9 लाख नई सिप शुरू हुई। पिछले साल सिप से औसतन हर माह करीब 3973 करोड़ रुपए का निवेश आया वहीं 2017 में यह निवेश औसतन 5893 करोड़ रुपए प्रति माह का रहा।
लोगाें में बढ़ी वित्तीय मामलों की समझ
फ्रैंकलिन टेम्पल्टन इन्वेस्टमेंट इंडिया के प्रेसीडेंट संजय सप्रे के अनुसार लोगों में वित्तीय मामलों की समझ बढ़ रही है, इसके अलावा लम्बे समय में वैल्थ क्रियेट करने की योजनाओं का अभाव है जिसके कारण म्युचुअल फंड में निवेश बढ़ा है।
उन्होंने कहा कि तकनीक का तेजी से विस्तार हो रहा है, जिससे अागे तेज ग्रोथ की संभावना है। उनके अनुसार जनधन, आधार और मोबाइल के एक प्लेटफार्म पर आने के बाद KYC की समस्या खत्म हो जाएगी। इससे डिस्ट्रीब्यूशन की लागत में काफी कमी आएगी।