राज्य जीएसटी कानून में क्या खास
- साल में कर्मचारी को 50 हजार रुपए से अधिक की गिफ्ट दी तो कंपनी को देना होगा कर
- किसी वस्तु का मालिकाना हक बदलना भी माना जाएगा वस्तुओं का आदान-प्रदान
- मनोरंजन व विज्ञापन पर कर सम्बन्धी 1957 के कानून सहित सात कानून राज्य जीएसटी कानून में समायोजित
- राज्य में सृजित होगा कर के प्रमुख आयुक्त या मुख्य आयुक्त का पद
- वैट के लिए नियुक्त अधिकारी इस कर के लिए कार्य करेंगे।
- अपीलों पर सुनवाई केन्द्रीय जीएसटी कानून के तहत गठित अपीलीय ट्रिब्यूनल की बेंच करेगी
- हाईकोर्ट में सीधे अपील नहीं हो सकेगी।
- कर निर्धारण को लेकर कोई विवाद होने पर ट्रिब्यूनल में ही जाना होगा।
जयपुर। राज्य का माल एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक बुधवार को विधानसभा से पारित हो गया। इसके साथ ही राजस्थान यह विधेयक पारित करने वाले तीसरा राज्य बन गया है।
विधानसभा में नया इतिहास रचते हुए उपाध्यक्ष राव राजेन्द्र सिंह ने भी विधेयक पर विचार रखे। उन्होंने कहा, यह दिन एेतिहासिक है सदन करों को लेकर राष्ट्रहित में अपनी शक्तियां छोड़ रहा है। स्वायत्त इकाइयों को भी विधानसभा के लिए एेसा त्याग करना चाहिए, लेकिन उनके तो लेखे ही सदन में 20-20 साल नहीं आते हैं।
उद्योग मंत्री राजपाल सिंह शेखावत ने विधेयक पर बहस का जवाब देते हुए कहा कि राजस्थान की जीडीपी में सेवा क्षेत्र का 48 प्रतिशत योगदान होने से जीएसटी से प्रदेश को फायदा होगा। पेट्रोलियम पदार्थ व एक्साइज से जुडे कर इससे अलग रहेंगे। यह देश की अर्थव्यवस्था की दिशा बदलने वाला होगा।
शेखावत ने कहा कि विधानसभा ने करों पर अपनी शक्तियां छोड़ी हैं, तो केन्द्र के करों पर राज्य को अधिकार भी मिला है। अब करों पर जीएसटी कौंसिल निर्णय करेगी। न केन्द्र मनमानी कर पाएगा और न ही राज्य।
विधानसभा उपाध्यक्ष राव राजेन्द्र सिंह ने पुरानी परम्पराओं को तोड़ते हुए विचार रखने के लिए विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल से बोलने की अनुमति ली। उन्होंने कहा कि जीएसटी पारित होने का दिन उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना रियासतों ने अपने अधिकार राज्य को सौंप दिए थे।
संसदीय कार्य के जानकारों के अनुसार विधानसभा में इससे पहले शायद ही किसी उपाध्यक्ष ने विधेयक पर सदन में विचार रखे होंगे। सिंह ने कहा कि जीएसटी राष्ट्रहित में अच्छा कानून है। उन्होंने कहा कि विधेयक में कुछ अच्छा है तो कुछ बुरा भी है, अच्छा बोलने के बाद उपाध्यक्ष कुछ बोलते उससे पहले ही भाजपा के घनश्याम तिवाड़ी व प्रहलाद गुंजल ने कहा, अप्रिय सत्य नहीं बोलें।
उद्योग मंत्री राजपाल सिंह शेखावत ने कहा, अब तक व्यवसायी रिटर्न को लेकर परेशान रहते थे। केन्द्रीय करों पर राज्यों का हक नहीं था। उन्होंने कहा कि राजस्थान विधेयक को पारित कर देश में करों की जटिलता समाप्त कर विकास दर को बढ़ाने में सहयोग देने का एेतिहासिक कार्य कर रहा है।
कॉपरेटिव फेडरेलिज्म को मिलेगा बढ़ावा
शेखावत ने कहा कि जीएसटी कौंसिल में सिर्फ केन्द्र या राज्य मनमानी नहीं कर सकते, क्योंकि निर्णय तीन चौथाई बहुमत से होगा। कौंसिल में एक तिहाई सदस्य केन्द्र के हैं और दो तिहाई राज्यों के सदस्य हैं। इससे कॉपरेटिव फेडरेलिज्म की भावना को बढ़ावा मिलेगा। सभी दल इसको लागू करने के लिए एकमत हैं और यह देश के लिए संजीवनी साबित होगा।
टैक्स से मिलेगी राहत: तिवाड़ी
भाजपा के घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि विश्व बैंक के मुताबिक भारत में करों की 20 फीसदी राशि रिश्वत में चली जाती है। लेकिन जीएसटी (माल एवं सेवाकर) के लागू होने के बाद इस पर लगाम कसी जा सकेगी। अब तक जीएसटी दुनिया के 160 देश लागू कर चुके हैं। वर्ष 2000 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जीएसटी की तैयारी को लेकर कमेटी गठित की थी। आज हम 30 से 35 फीसदी तक टैक्स दे रहे हैं। लेकिन जीएसटी के लागू होने के बाद 20 से 25 फीसदी टैक्स देना होगा।