कोटा। आरवीयूएन संयुक्त संघर्ष समिति की कोर कमेटी ने बुधवार को जयपुर में सीएमडी एनके कोठारी से वार्ता की। प्रबंध निदेशक ने बताया कि चालू वित्त वर्ष में उत्पादन निगम लगातार लाभ की ओर बढ़ रहा है, इसलिए उत्पादन निगम की मौजूदा सुदृढ़ वित्तीय स्थिति को देखते हुए वे राज्य सरकार को अवगत कराएंगे कि लाभ की स्थिति में चल रहे निगम के पॉवर प्लांटां की विनिवेश प्रकिया पर पुनर्विचार किया जाए।
कोठारी ने कहा कि सभी पॉवर प्लांटों के परिचालन एवं परफॉर्मेंस में निर्धारित मापदंडों से लगातार सुधार किया जा रहा है, जिससे उत्पादन निगम भविष्य में और अधिक लाभ अर्जित करने की स्थिति में रहेगा। उन्होंने श्रेष्ठ बिजली उत्पादन की सराहना करते हुए निरंतर सुधार जारी रखने को कहा।
कोर कमेटी के संरक्षक जीएस भदौरिया सह-संयोजक विनोद आडा, संजय जोशी, रविप्रकाश विजय एवं अजय विजयवर्गीय ने बताया कि जब तक निगम के पॉवर प्लांटों के विनिवेश के नाम पर निजी कंपनियों को सौंपने की प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई जाएगी, जब तक समिति द्वारा निजीकरण का विरोध जारी रहेगा।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2015-16 में आरवीयूएन करीब 900 करोड़ रू के घाटे में था, जिसे परफॉर्मेंस के आधार पर अभियंताओं एवं कर्मचारियों ने परिचालन में सुधार करते हुए वित्त वर्ष 2016-17 में लाभ की स्थिति में कर दिया है।
सभी बिजलीघरों में दिया सांकेतिक धरना
इससे पूर्व राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरवीयूएन) संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा कोटा थर्मल, छबडा, कालीसिंध, सूरतगढ़, रामगढ़, गिरल लिग्नाइट, धौलपुर गैस प्लांट, माही हाइडल सहित निगम के सभी बिजलीघरों में बुधवार को निजीकरण के विरोध में अभियंताओं एवं कर्मचारियों ने एक दिवसीय सांकेतिक धरना दिया। धरना स्थल पर बडी संख्या में एईएन, एक्सईएन, एसई सहित कई महिला इंजीनियर मौजूद रहीं।
कोटा थर्मल में मेन गेट से मुख्य अभियंता कार्यालय तक रैली निकालकर समिति ने सीएमडी के नाम मुख्य अभियंता एचबी गुप्ता को ज्ञापन सौंपा। रैली में ‘निजीकरण बंद करो’, ‘एनटीपीसी तो बहाना है, अडानी को लाना है’ जैसे नारे गूंजते रहे।
समिति के प्रवक्ता आशीष जैन ने कहा कि आरवीयूएन के बिजलीघरों को बेचने की बजाय सभी सरकारी पॉवर प्लांटों को सही मूल्य पर अधिकतम बिजली पैदा करने का मौका दिया जाए। निजी क्षेत्र में दबाव में चालू यूनिटों को बार-बार बंद करवाने का खेल बंद हो।
यूनिटें बंद होने से 60 फीसदी उत्पादन घटा
एनर्जी पोर्टल पर जारी आंकडों के अनुसार, 25 अप्रैल को 5995 मेगावाट क्षमता के 6 सरकारी बिजलीघरों में अधिकांश यूनिटें बंद करवाने से केवल 2450 मेगावाट (40.8 प्रतिशत) बिजली पैदा हो सकी। निजी क्षेत्र के दबाव में एसएलडीसी, जयपुर द्वारा सरकारी बिजलीघरों के 60 प्रतिशत बिजली उत्पादन को जबरन बंद करवाया।
इनमें अधिकांश यूनिटें बंद करवाने से सूरतगढ़ सुपर थर्मल की 1500 मेगावाट से मात्र 206, कोटा सुपर थर्मल के 1240 मेगावाट से 689, छबड़ा सुपर थर्मल के 1000 मेगावाट से 831,कालीसिंध सुपर थर्मल के 1200 मेगावाट से मात्र 448 मेगावाट की यूनिटों से बिजली उत्पादन हुआ।
विनिवेश एवं निजीकरण के षडयंत्र में मे चालू वित्तवर्ष 2017-18 में सभी सरकारी बिजलीघरों में बिजली उत्पादन के रिकार्ड आंकडे़ नीचे गिरने से इंजीनियर्स व कर्मचारी चिंतित हैं। राज्य में 720 मेगावाट क्षमता के धौलपुर गैस प्लांट, गिरल लिग्नाइट तथा माही हाइडल प्लांट पहले से बंद हैं।