आयातक देशों में मांग कमजोर रहने से लालमिर्च के दाम 35 प्रतिशत गिरे

0
12

हैदराबाद। Red Chilli Price: प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में नए-पुराने माल की आपूर्ति बढ़ने तथा चीन, बांग्ला देश एवं मलेशिया जैसे प्रमुख आयातक देशों में मांग कमजोर रहने से भारतीय लालमिर्च के दाम में लगभग 35 प्रतिशत की भारी गिरावट आ गई है। इससे उत्पादक काफी चिंतित और परेशान हैं।

जनवरी 2024 में लालमिर्च का औसत भाव 19,000 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया था जो जनवरी 2025 में लुढ़ककर 12,000-13,000 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया। एक अग्रणी विश्लेषक ने जनवरी-मार्च 2025 की अवधि में फसल की तुड़ाई-तैयारी के दौरान लालमिर्च का दाम 14,500 से 16,500 रुपए प्रति क्विंटल के बीच रहने का अनुमान लगाया था, लेकिन अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक मांग बहुत कमजोर है और खासकर चीन के आयातक निष्क्रिय बने हुए हैं जिससे लालमिर्च की कीमतों में नरमी का माहौल बना हुआ है।

अगस्त की तुलना में सितम्बर के दौरान लालमिर्च का निर्यात 4.10 प्रतिशत घटकर 36,276 टन पर अटक गया। उधर मसाला बोर्ड के आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2024-25 के शुरूआती सात महीनों में यानी अप्रैल-अक्टूबर 2024 के दौरान देश से लालमिर्च का निर्यात सुधरकर 3.31 लाख टन पर पहुंचा

जो वर्ष 2023 की समान अवधि के शिपमेंट 3.04 लाख टन से 27 हजार टन ज्यादा रहा लेकिन इसकी निर्यात आय 75.784 करोड़ डॉलर से 15 प्रतिशत घटकर 64.515 करोड़ डॉलर पर अटक गई। इसका कारण ऑफर मूल्य का नीचे रहना था।

तेलंगाना के उत्पादकों ने केन्द्र तथा राज्य सरकार से 20,000 रुपए प्रति क्विंटल की दर से लालमिर्च की खरीद आरंभ करने का आग्रह किया है ताकि किसानों को कुछ राहत मिल सके।

तेलंगाना रायतु संघम के अनुसार बेहतर मूल्य की उम्मीद से अनेक किसानों ने कोल्ड स्टोरेज की सुविधाओं में अपनी लालमिर्च के स्टॉक का भंडारण किया था लेकिन कीमतों में बढ़ोत्तरी होने का कोई संकेत नहीं मिलने के कारण उत्पादकों को औने-पौने दाम पर अपना स्टॉक बेचने के लिए विवश होना पड़ रहा है।

इस बीच नई फसल की आपूर्ति का दबाव बढ़ना भी शुरू हो गया है। वर्ष 2023 में लालमिर्च का भाव उछलकर 25,000 रुपए प्रति क्विंटल की ऊंचाई पर पहुंच गया था जिसके मुकाबले अब यह 50 प्रतिशत नीचे चल रहा है। वर्ष 2023 में विश्व स्तर पर लालमिर्च का बिजाई क्षेत्र 18.03 लाख हेक्टेयर तथा कुल उत्पादन 58.22 लाख टन दर्ज किया गया था।