कलक्टर डॉ. रविन्द्र गोस्वामी के साथ हार्टवाइज टीम ने किया किट लॉन्च
कोटा। Heart attack Jeevan Rakshak Kit: शहर में हृदय रोग के प्रति जागरूकता और हृदय की स्वस्थता के उद्देश्य से गठित टीम हार्टवाइज अब शहरवासियों को हार्ट अटैक जीवन रक्षक किट वितरित करेगी। इस किट को शनिवार को जिला कलक्टर डॉ.रविन्द्र गोस्वामी, डीसीएम श्रीराम के वीनू मेहता, हार्टवाइज के संरक्षक डॉ.साकेत गोयल व टीम ने लांच किया। इसके साथ ही किट का वितरण शुरू कर दिया गया है। सामाजिक, शैक्षणिक, अध्यात्मिक व व्यावसायिक संस्थाओं के माध्यम से शहर के 30 हजार परिवारों तक पहुंचाया जाएगा।
हार्टवाइज के संयोजक डॉ.साकेत गोयल ने बताया कि कोविड के बाद हृदयाघात के मामले बढ़ गए हैं। प्रारंभिक उपचार के अभाव में लोगों की मौतें हो रही है। ऐसे में हार्टवाइज टीम ने हार्ट अटैक से होने वाली मृत्यु की दर को कम करने के लिए विश्व में पहला और सबसे बड़ा प्रयास शुरू किया है।
प्राथमिक उपचार के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए शहरवासियों को 30 हजार हार्ट अटैक जीवन रक्षक किट वितरित किए जाएंगे। दवाओं की समाप्ति तिथि के बाद इस किट को रिप्लेस भी किया जा सकेगा।
हार्टवाइज के ओर से इस प्रकल्प के समन्वयक कपिल जैन रहेंगे। कोई भी संस्था जो अपने मेंबर्स को ये हार्ट अटैक जीवन रक्षक किट देना चाहे वो कपिल जैन 98281-36431 तथा हार्टवाइज टीम के अन्य सदस्यों से संपर्क कर किट प्राप्त कर सकती है।
इस अवसर पर जिला कलक्टर डॉ.रविन्द्र गोस्वामी ने कहा कि मैं एक चिकित्सक भी हूं और इसलिए इस किट की उपयोगिता समझता हूं। जानकारी के अभाव में कई मौतें हो जाती हैं। हर घर में यह किट होना चाहिए, मेरा सुझाव है कि हर घर में एक निर्धारित स्थान भी होना चाहिए जहां किट मौजूद रहे और हर सदस्य को इसका पता हो। इसके साथ ही जिला प्रशासन स्कूलों में हार्टवाइज के साथ मिलकर सीपीआर ट्रेनिंग प्रोग्राम भी चलाएगा। स्वस्थता के लिए जागरूकता जरूरी है।
डीसीएम श्रीराम के वीनू मेहता ने कहा कि हार्टवाइज टीम स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर काम कर रही है। इस तरह के कार्यक्रमों से न केवल जागरूकता आती है, वरन भ्रांतियां भी दूर होती हैं। मैं वॉक-ओ-रन 2025 के लिए भी शुभकामनाएं देता हूं।
इस अवसर पर टीम हार्टवाइज के डॉ.सुरभि गोयल, कमलदीप सिंह, तरुमित बेदी, अजय मित्तल, कपिल जैन, सुमित अग्रवाल, विनेश गुप्ता, निखिल जैन, अनीश बिरला, राहुल सेठी, दीपक मेहता, राहुल जैन, अनुपम अजमेरा, डॉ अज़हर, आरव, उमेश गोयल, हिमांशु अरोड़ा, रजत अजमेरा सहित अन्य मौजूद रहे।
क्या होगा हार्ट अटैक किट में ?
इस हार्ट अटैक किट में डिस्प्रिन की एक गोली, एटोरवास्टेटिन की एक गोली और सबलिंगुअल इसॉर्डिल की एक गोली होगी। हार्टवाइज का सुझाव है कि संदिग्ध हार्ट अटैक वाले किसी भी मरीज को डिस्प्रिन की एक गोली चबाने और निगलने के लिए दी जानी चाहिए। कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण के बारे में जागरूकता बढ़ाने और हार्ट अटैक के शुरुआती दौर में इस दवा को देने के महत्व पर जोर देने के लिए किट में एटोरवास्टेटिन शामिल किया गया है। दर्द से राहत के लिए आइसॉर्डिल की छोटी सबलिंगुअल गोली दी गई है, लेकिन इसे तभी दिया जाना चाहिए जब मरीज का बीपी सामान्य पाया जाए। इसके बाद मरीज को ईसीजी और आगे के इलाज के लिए तत्काल किसी चिकित्सा संस्थान में ले जाया जाए। किट में दवा की एक्सपायरी डेट का उल्लेख भी किया गया है। इसके बाद इसकी पुनःपूर्ति की जाएगी। तीव्र हृदयाघात में जीवनरक्षक दवा के महत्व पर प्रकाश डाला गया है।
हार्ट अटैक के लक्षण
- हार्ट अटैक (दिल का दौरा) के लक्षण व्यक्ति और स्थिति के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं। हालांकि, कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैंः
- सीने के बीच या बाईं ओर तेज दर्द या दबाव महसूस होना। पीठ, गर्दन या जबड़े में दर्द।
- जलन या भारीपन जैसा महसूस होना।
- अचानक से सांस लेने में परेशानी महसूस होना।
- बिना किसी शारीरिक परिश्रम के ठंडा पसीना आना।
- अचानक और अत्यधिक थकावट या कमजोरी महसूस होना।
कैसे कारगर है किट
एस्परीन टैबलेट को चबाने से तेजी से अवशोषण होता है, एस्पिरिन प्लेटलेट एकत्रीकरण को रोकता है। क्योंकि इसी कारण रक्त के थक्के का गठन होता है और कोरोनरी धमनियां अवरुद्ध हो जाती हैं। शोध के अनुसार 325 मिलीग्राम एस्पिरिन की गोली चबाने से 50 प्रतिशत मरीजों का जीवन बच पाया है। जर्नल ऑफ द अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चलता है कि सीने में तेज दर्द शुरू होने के 4 घंटे के भीतर एस्पिरिन का खुद से सेवन करने से यूएस की आबादी में सालाना 13 हजार लोगों की जान बच सकती है। किट में स्टैटिन को शामिल करने से हृदय रोग में कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण की भूमिका पर जोर दिया जाता है। टैब आईसोर्डिल (सबलिंगुअल नाइट्रोग्लिसरीन)ः हृदय में रक्त के प्रवाह को बेहतर बनाकर सीने के दर्द से राहत देता है। सालाना अनुमानित 2 करोड़ मौतों के लिए जिम्मेदार हैं, जो वैश्विक स्तर पर होने वाली सभी मौतों का 32 प्रतिशत है।