नई दिल्ली। कांग्रेस नेतृत्व वाले विपक्ष ने मंगलवार को राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए नोटिस दिया है। यह नोटिस राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी को सौंपा गया है। नोटिस पर करीब 60 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने सभापति धनखड़ पर पक्षपात का आरोप लगाया है।
कांग्रेस के साथ यह दल
कांग्रेस को आरजेडी, टीएमसी, सीपीआई, सीपीआई (एम), जेएमएम, आप और डीएमके का साथ मिला है। नोटिस पर करीब 60 विपक्षी सांसदों के हस्ताक्षर हैं। कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने राज्यसभा के सभापति पर पक्षपात करने का आरोप लगाया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि विपक्ष के पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।
यह है नियम
राज्यसभा के सभापति के खिलाफ संविधान के अनुच्छेद 67(बी) के अनुसार अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है। इसके तहत सभापति को राज्यसभा के सभी तत्कालीन सदस्यों के बहुमत से पारित प्रस्ताव और लोकसभा की सहमति से हटाया जा सकता है। मगर 14 दिन पहले नोटिस देना जरूरी है। बता दें कि इससे पहले अगस्त महीने में भी कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना बनाई थी। मगर बाद में किसी कारणवश इसे टाल दिया गया था।
पारित होना असंभव, यह है सदन का गणित
विपक्ष ने संविधान के अनुच्छेद 67 (बी) के तहत अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है। इसके लिए कम से कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है। विपक्षी दलों को 60 सांसदों का साथ मिल चुका है। इससे पहले कांग्रेस ने मानसून सत्र के दौरान भी राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी की थी। मगर बाद में टाल दिया था। सदन के गणित के मुताबिक सत्तापक्ष के पास बहुमत है। इस लिहाज से इसका पारित होना असंभव लग रहा है।
I.N.D.I.A गठबंधन के सभी दलों के पास राज्यसभा के सभापति के खिलाफ औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है, क्योंकि वे राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन पक्षपातपूर्ण तरीके से कर रहे हैं। गठबंधन के दलों के लिए यह दुखद निर्णय रहा है। मगर संसदीय लोकतंत्र के हित में उन्हें यह कदम उठाना पड़ा है। प्रस्ताव अभी-अभी राज्यसभा के महासचिव को सौंपा गया है। जयराम रमेश, कांग्रेस महासचिव।